बार अभ्यारण्य में पके खड़े धान पर हाथियों का धावा: देखें वीडियो
समीप के बार अभ्यारण्य के किसान इन दिनों हाथियों द्वारा उनके खेतो में पके खड़े धान को नुकसान पहुचाने से परेशान है. हालात इतने खराब है कि किसानों के खेतों में पक कर खड़े धान के नुकसान से किसानों के चेहरे से अच्छी फसल पैदावार की खुशियो की जगह अब उदासी दिखाई देने लगी है.
पिथौरा| समीप के बार अभ्यारण्य के किसान इन दिनों हाथियों द्वारा उनके खेतो में पके खड़े धान को नुकसान पहुचाने से परेशान है. हालात इतने खराब है कि किसानों के खेतों में पक कर खड़े धान के नुकसान से किसानों के चेहरे से अच्छी फसल पैदावार की खुशियो की जगह अब उदासी दिखाई देने लगी है.
क्षेत्र में इस वर्ष अच्छी बारिश के बाद किसानों को अच्छी फसल मिली है. परन्तु किसानों के दुर्भाग्य से वर्ष भर से शांत रहे हाथी पुनः अपने बड़े झुंड के साथ बार के जंगलों में पहुच गया और यहां किसानों की पक चुकी फसल को रौंद कर बर्बाद कर गया. हाथियों के द्वारा फसल नुकसान से यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है. परिवार भरण-पोषण की बात तो छोड़िए. पक कर तैयार हो चुके धान खड़ी फसलों को जंगली हाथियों द्वारा रौंद-खाने से अब कृषकों के लिए अपने कृषि ऋण चुकारे को लेकर भी उनके माथे चिंता की स्पष्ट लकीरें खिंच गई है. अपने फसल बचाने उनके द्वारा किए गए कई उपाय भी हाथियों के आगे बौने साबित हो गए, जिससे मेहनतकश किसान बेबसी की हालत में हैं.
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फसल मुआवजा के प्रकरण बनने शुरू
दूसरी ओर अभ्यारण्य के वन अधिकारी सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी गीतेश बंजारे बताते है कि उन्हें भी हाथियों के झुंड के खेतों से गुजरने के कारण फसल खराब होने की सूचना मिली है जिस पर विभाग के अफसर कर्मी मौके पर जाकर मुआवजा प्रकरण बनाने का कार्य प्रारम्भ कर चुके है।जिसे शीघ्र ही शासन को भेजा जाएगा.
हालांकि फसल क्षति के लिए एक तय मापदंड में मुआवजा का प्रावधान है, लेकिन यह मुआवजा राहत भी मामूली होने के साथ ही उस साल धान उपार्जन विक्रय रकबा कटौती के नियम है. इस तरह किसानों को नुकसानी का उचित लाभ भी मिलता नही दिख पाता.किसानों की माने तो इन्हें इस प्रकार वन्यजीवों से फसल हानि के लिए सरकार के द्वारा खरीफ फसल के लिए निर्धारित समर्थन मूल्य की खरीदी दर पर प्रति एकड़ रकबे के हिसाब से 15 क्विंटल के क्षतिपूर्ति भुगतान के साथ बचत धान का वास्तविक आंकलन मूल्य जोड़ कर देना चाहिए जिससे खून पसीने की कमाई गयी फसल का सही मूल्य भुगतान मिल पाये.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा