बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में सोने के भंडार की खोज पर लगी रोक
छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में सोने के भंडार की खोज पर फिलहाल रोक लग गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच अफसरों की एक समिति को सर्वेक्षण से होने वाले नुकसान पर रिपोर्ट मांगी है।
विशेष रिपोर्ट: deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा
पिथौरा| छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र में सोने के भंडार की खोज पर फिलहाल रोक लग गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच अफसरों की एक समिति को सर्वेक्षण से होने वाले नुकसान पर रिपोर्ट मांगी है। यह समिति खनन के प्रभावों पर तीन माह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। मामले की अगली सुनवाई दो अगस्त 2022 को होनी है।
मिली जानकारी के अनुसार बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य के समीप बाघमाडा (सोनाखान) स्थित है।यहां वन्य प्राणी देश के सबसे अधिक खुले में विचरण करने वाले है।
यहां किए गए पहले सर्वेक्षण के आधार पर 2700 वर्ग किलोग्राम क्षेत्र में स्वर्ण भंडार होना अनुमानित है। केंद्र की मोदी सरकार ने 2016 में इस खदान की ई-नीलामी कराई थी।जिसे वेदांता समूह ने हासिल किया है।
अब कंपनी यहां खनन पूर्व सर्वेक्षण करना चाहती है, ताकि स्वर्ण भंडार की ठीक-ठीक स्थिति का पता लगाया जा सके।इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार के खनिज साधन विभाग को आवेदन दिया है।
प्रस्तावित योजना के अनुसार प्रस्तावित खनन क्षेत्र में कंपनी 58 बोरवेल बनाकर स्वर्ण भंडार की वास्तविक स्थिति का पता लगाएगी।
परन्तु रायपुर के पर्यावरण प्रेमी संजीव अग्रवाल ने इस पर आपत्ति की है। संजीव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका लगाकर कहा कि अगर यहां पूर्वेक्षण होता है तो वन पर्यावरण को नुकसान होगा।
समिति शिकायत की जांच करेगी
श्री अग्रवाल की शिकायत के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच विभिन्न विभागों के अफसरों की एक समिति से रिपोर्ट तलब की है। इसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के एक सदस्य, छत्तीसगढ़ खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण संरक्षण मंडल और कलेक्टर बलौदाबाजार को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को इसका नोडल विभाग बनाया गया है। इस समिति का गठन चार सप्ताह के भीतर कर लेने को कहा गया है।
जिस क्षेत्र में खदान, वह अभयारण्य के लिए प्रस्तावित
पर्यावरण प्रेमी संजीव अग्रवाल ने सूचना का अधिकार कानून के तहत मिले दस्तावेजों के अध्ययन के बाद बताया हैं कि जिस क्षेत्र में स्वर्ण भंडार है वह सघन जंगल है। खुद वन विभाग ने उसे अभयारण्य के विस्तार में शामिल किया हुआ है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने अक्टूबर 2017 में वन विभाग के प्रमुख सचिव को यह प्रस्ताव भेजा था। इसमें देवपुर वन परिक्षेत्र के 22 कक्ष यानी 5 हजार 114 हेक्टेयर जंगल को बार नवापारा में शामिल करने का प्रस्ताव था। इसमें 144 हेक्टेयर का कक्ष संख्या 254 भी एक था, जहां सर्वेक्षण की अनुमति मांगी गई है।
2020 में वन विभाग ने सर्वेक्षण के लिए मना किया था
संजीव अग्रवाल की ओर से एनजीटी में पेश एक और दस्तावेज में बताया गया है कि 2 जून 2020 को वन अफसरों की एक कमेटी ने वहां किसी तरह का खनिज सर्वेक्षण नहीं कराने की सिफारिश की थी। अफसरों का कहना था, अगर इस क्षेत्र में खनिज पूर्वेक्षण की अनुमति दी जाती है तो बिना जंगल को नष्ट किए अथवा उसमें छेड़छाड़ किए ऐसा करना संभव नहीं होगा। ऐसे में पूर्वेक्षण की अनुमति दिया जाना उचित नहीं होगा।
90 के दशक में हुई थी खदान की खोज
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार-भाटापारा जिले के पूर्वी क्षेत्र के लगभग 608 हेक्टेयर में फैली बाघमारा गोल्ड माइन रायपुर से लगभग 130 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसकी खोज वर्ष 1981 एवं 1990 के बीच मध्य प्रदेश के भौमिकी तथा खनिकर्म संचालनालय की देखरेख में हुआ था। अब तक किए गए एक्सप्लोरेशन कार्य एवं उपलब्ध रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में 2700 किलो स्वर्ण भंडार संभावित है। यहां पहले भी सोना निकाला जाता रहा है। इसके अवशेष यहां उपलब्ध हैं।
शहीद वीरनारायण सिंह की जन्मभूमि
सोनाखान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद वीर नारायण सिंह की जन्मस्थली भी है। इसकी वजह से इसका सांस्कृति-ऐतिहासिक महत्व भी है। वहां खनन गतिविधियों को लेकर स्थानीय ग्रामीण विरोध पर भी अमादा हैं।