छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: महासमुन्द जिले में फैसला ऐतिहासिक रहा, संपत मंत्रिमंडल में !

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार महासमुन्द जिले में ऐतिहासिक फैसला आया है. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले की चार सीटों को दोनों प्रमुख दलों ने आधा आधा बांट लिया है. क्योंकि अब तक हुए चार चुनावों में भाजपा या कांग्रेस चारों सीटों  पर एक साथ जीतती आई है. 

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विश्लेषण:  रजिंदर  खनूजा 

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार महासमुन्द जिले में ऐतिहासिक फैसला आया है. छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जिले की चार सीटों को दोनों प्रमुख दलों ने आधा आधा बांट लिया है. क्योंकि अब तक हुए चार चुनावों में भाजपा या कांग्रेस चारों सीटों  पर एक साथ जीतती आई है.  वह भी एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस. परन्तु इस बाद यह संयोग टूट गया और भाजपा के जीत वाले जगह सराईपाली एवम खल्लारी सीट पर कांग्रेस काबिज हो गयी.

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इस तरह के परिणाम से आम लोग यह अनुमान लगाने में व्यस्त है कि जिले के मतदाता जो सभी सीटों पर एक ही पार्टी प्रत्याशी  को जिताते आये है इस बार अलग क्यों? इस सम्बन्ध में हमारे प्रतिनिधि ने कारण जानने का प्रयास किया.

इन कारणों के मुताबिक महासमुंद जिले की अलग-अलग सीटों पर मुद्दे भी अलग अलग रहे हैं.  जिले में सबसे बड़ी जीत सराईपाली विधाननसभा से कांग्रेस प्रत्यासी चातुरी नन्द ने अर्जित की है. इस जीत के अनेक मायने निकाले जा रहे है.सराईपाली विधानसभा अजा के लिए आरक्षित सीट है. यहां से तात्कालिक विधायक को टिकिट नही मिलने से वे जोगी कांग्रेस का दामन थाम कर पुनः विधायक बनने की जुगत में थे परन्तु कांग्रेस ने उनके स्थान पर पेशे से शिक्षिका चातुरी नन्द को टिकिट दे दी.

 

सराईपाली जिले की ऐसी विधानसभा है जहां सर्वाधिक सम्पन्न किसान रहते है. यहां कांग्रेस घोषणापत्र में किसानों का कर्जमाफी का वायदा काम कर गया और किसानों ने एकजुट होकर कांग्रेस को मतदान कर दिया लिहाजा वहां का आंकड़ा काफी बढ़ गया. ये आंकड़ा इतना अधिक था कि यहां कांग्रेस प्रत्याशी के विरुद्ध उन्ही की पार्टी का भितरघात भी छोटा पड़ गया.

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इसके बाद बसना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के राजा देवेंद्र बहादुर सिंह की निष्क्रियता एवम भाजपा प्रत्याशी  सम्पत अग्रवाल की सेवा भावना के बीच मुकाबला हुआ था. जिसमे मतदाताओं ने निष्क्रियता के विरोध में मतदान कर भाजपा प्रत्याशी  को विधान सभा पहुंचा दिया.

इसी तरह खल्लारी में भाजपा द्वारा कोई डेढ़ माह पूर्व से ही द्वारा अलका चंद्राकर को प्रत्याशी  घोषित किया था परन्तु वे फायदा नही उठा पाई बल्कि चुनाव के दरमियान भी खर्च के मामले में कांग्रेस प्रत्याशी से पीछे ही रही.

महासमुन्द सीट में भी भाजपा के नव नवेले योगेश्वर राजू सिन्हा को टिकिट दे दी गयी थी. परन्तु यहां कांग्रेस के कथित निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष एवम महासमुन्द प्रत्याशी डॉ रश्मि चंद्राकर को निपटा कर ही दम लिया. इसकी जानकारी स्वयम रश्मि चंद्राकर ने अभी एक ट्वीट के माध्यम से दी है.

बहरहाल महासमुन्द जिले में इस बार भाजपा ने पूर्व की तरह शहरी क्षेत्र में खासी लीड निकाली. जिसके कारण जिला मुख्यालय से भी भाजपा ने जीत का परचम फहरा दिया.

अब नजर मंत्री पद पर
जिले में दो विधायक भाजपा के चुने जाने के बाद अब मंत्रिमंडल में स्थान बनाने संघर्ष  प्रारम्भ हो गया है. सूत्र बताते हैं कि इस बार की भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्री नए होंगे. यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश  के बड़े धाकड़ नेता मंत्री नही बन पाएंगे, उनके स्थान पर संभवतः बसना विधायक संपत अग्रवाल को मंत्रिमंडल में स्थान मिल जाय.

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