छत्तीसगढ़: गृहिणी से बन गई ‘इंजीनियर दीदी’  

श्रीमती पुलोजमा अपने गांव में इंजीनियर दीदी के नाम से जानी और पहचानी जाती हैं। गांव में उनके काम की तारीफ करते हैं। कुछ साल पहले तक वह आम गृहिणी की तरह अपने परिवार की देखभाल में लगी रहती थीं, लेकिन परिवार पर आए कठिन समय ने उन्हें एक नयी पहचान दे दी

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रायपुर| श्रीमती पुलोजमा अपने गांव में इंजीनियर दीदी के नाम से जानी और पहचानी जाती हैं। गांव में उनके काम की तारीफ करते हैं। कुछ साल पहले तक वह आम गृहिणी की तरह अपने परिवार की देखभाल में लगी रहती थीं, लेकिन परिवार पर आए कठिन समय ने उन्हें एक नयी पहचान दे दी। उनके कठिन दौर में उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) में महिला मेट के काम के रूप में यह पहचान मिला। यहीं से उनके जीवन में असली बदलाव आया |

वे पिछले 10 सालों से लगातार गाँव में महिला मेट की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहीं हैं। उनके कार्य के प्रति समर्पण व लगन के कारण महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिक और ग्रामीण उन्हें इंजीनियर दीदी के नाम से बुलाने लगे हैं और अब यही उनकी पहचान बन गई है।

श्रीमती पुलोजमा खैरवार जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत जूनाडीह की निवासी है। वह अनुसूचित जनजाति वर्ग की हैं। उन्होंने बताया कि उनका संयुक्त परिवार हैं। उनके ससुर के पास एक एकड़ जमीन है। जिस पर परिवार का गुजर-बसर चलता रहा है। उनके परिवार पर परेशानियां आई और परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन पर ही आन पड़ी।

इस बीच उन्हें पता चला कि मनरेगा में मेट की आवश्यकता है। ऐसे में उनकी बारहवीं तक की पढ़ाई काम आई और उन्हें पंचायत से मेट का काम मिल गया। उन्होंने धीरे-धीरे कार्यस्थल पर मजदूरों की संख्या को दर्ज करना, पंजी में रिकार्ड रखना, काम का आबंटन करना एवं प्रत्येक श्रमिकों के जॉब-कार्ड का ध्यान रखना, कार्यस्थल पर साफ पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सा पेटी की उपलब्धता रखना जैसे मेट के सभी काम सीख लिये।

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पहले साल उन्होंने 8 हजार 500 रूपए बतौर पारिश्रमिक प्राप्त किए। लगातार आमदनी से उनकी पारिवारिक स्थिति में सुधार आने लगा। श्रीमती पुलोजमा काम के दौरान नियमित रूप से गोदी की नापजोख के अलावा कार्यस्थल पर पानी की व्यवस्था, बच्चों के लिए छांव एवं चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था का ख्याल भी रखती हैं।

नागरिक सूचना पटल की जिम्मेदारी उठाने के साथ श्रमिक परिवारों के जॉब कार्ड को अद्यतन करने के काम में भी वे ग्राम पंचायत की मदद करती हैं। उनके द्वारा कार्यों में रूचि लेने और नियमित मॉनिटरिंग से समय-सीमा में काम पूरा हाने लगा। श्रमिकों को समय पर मजदूरी भुगतान होने से श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती गई और योजना में उनका विश्वास बढ़ता गया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत की भी सराहना गांव में भी होने लगी।

जूनाडीह गांव की जनसंख्या और मनरगा अंतर्गत पंजीकृत सभी 371 परिवारों की जानकारी मेट श्रीमती पुलोजमा हमेशा अपने पास रखती हैं, जिससे गाँव में काम शुरु होने पर जॉब कार्ड धारकों को सूचना दे सके। कोरोना काल में उन्होंने मनरेगा श्रमिकों विशेषकर महिलाओं को कोविड-19, से बचने के उपाय बताएं और उन्हें नियमित रूप से मास्क पहनने, हाथों की धुलाई करने और निश्चित शारीरिक दूरी बनाकर काम करने के लिए प्रेरित किया।

महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में योजनांतर्गत 548 महिलाओं ने 19 हजार 194 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त किया। वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक 465 महिलाओं के द्वारा 10 हजार 460 मानव दिवस का रोजगार अर्जित किया जा चुका है।

 

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