जगदलपुर| कम उम्र बेटियां भी शिक्षा के साथ, घर परिवार ही नहीं अपने प्रति कितनी सजग होती हैं इसका नजारा बस्तर में सामने आया| 12 साल की रिनी किसानों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में जब खेती पर वैज्ञानिकों को जवाब दिया|
केंद्र सरकार की इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इनटीग्रेटेड मेडिसिन जम्मू और छग आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परम्परा एवम औषधि पादप बोर्ड ने इस प्रशिक्षण का आयोजन किया और इसमें चुनिंदा किसानों को आमंत्रित किया था । जिसमें महिला किसान भी शामिल थी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में आई सबसे छोटी 12 वर्षीय कु. रिनी से जब उससे जम्मू से प्रशिक्षण देने आये वैज्ञानिकों ने पूछा कि वह कैसे आई है तो उसका कहना था कि आज शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता है। इसीलिए वो इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने आई है|
ताकि पढ़ाई के साथ वह अपने पिता की कृषि भूमि पर इनका रोपण कर खुद के पैरों पर खड़ी होकर अपना भविष्य सँवारे। उसने कहा कि उसे खेती किसानी की प्रेरणा छुटपन से अपनी दादी से मिली है जो हमेशा इसमें लगी रहती हैं ।
देखा जाए तो रिनी की यह सोच आज की शिक्षा पद्धति पर सवालिया निशान भी है ?
जम्मू से आये वैज्ञानिक राजेन्द्र भंवरिया ने लेमन ग्रास को लेकर विस्तृत जानकारी दी ।
बस्तर में इसके लिये रिचुअल एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर नामक एनजीओ को अधिकृत किया गया है। जिसके अध्यक्ष सुदीप अवस्थी ने किसानों से वायदा जताया कि उनकी संस्था लेमन ग्रास लगाने से कटाई और तेल निकालने तक पूरी मदद करेगी।
इस अवसर पर मौजूद किसानों को लेमन ग्रास के पौधे भी बांटे गए।