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भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति

प्रशंसा का परिष्कृत रूप है स्तुति जो देवों को प्रिय होती है

'प्रशंसा, इतनी मोहक तथा मीठी होती है कि खाने वाला खाता चला जाता है। उसे इस बात की भी चिंता नहीं रहती कि पचाने की क्षमता उसमें है भी या नहीं? या कहीं वह अपच की स्थिति में रोग-ग्रस्त न हो…
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संशय, सनक में बदल सकता है

संशय की अधिकता व्यक्ति को मानसिक रोगी बना सकती है तथा संशय, सनक में बदल सकता है। मनोविज्ञान में लिखा है 'अधिकांश व्यक्तियों में संशय होता है। यदि संशय सामान्य भ्रम तक सीमित है, तब यह…
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सोनिया गांधी का नेतृत्व विकल्पहीन नहीं

सोनिया गांधी Sonia Gandhi का मानवीय पक्ष भी है। विदेश से आई युवती के जीवन में प्रौढ़ता आते ही वैधव्य छा गया। पचड़ेबाज लोग इटली लौट जाने का तंज कसने लगे। गुमनामी के रेवड़ में रहने से बेहतर…
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उपकार: जहां चिंतन की वाणी मौन

उपकार  ही एक ऐसा भाव है जहां चिंतन की वाणी मौन हो जाती है तथा अन्तस व मानस समवेत स्वर में स्वीकारने लगता है कि उपकार व्याख्या का नहीं अपितु अनुभूति का विषय है। उपकार: यदि व्यक्तित्व का…
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राज कपूर दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षक थे: राहुल रवैल 

राज कपूर दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षक थे। मैंने उनसे जो शानदार चीजें सीखी हैं, उन्हें मैं कभी नहीं भूल सकता। फ़िल्ममेकिंग की उनकी शैली को विस्तृत तौर पर बयां करने के लिए खास तौर पर 10…
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भोग ही व्यक्ति का भोग करने लगा है

भोग ने व्यक्ति को पलायनवादी बना दिया है किंतु वह समझ नहीं पा रहा है कि सबसे तो भाग सकता है किंतु स्वयं से भाग कहां सकता है। भोग के क्षणिक उन्माद के पश्चात् जैसे ही पल मात्र के लिए उसका…
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प्रेम में हिसाब किताब नहीं

प्रेम कुछ मांगता नहीं, सभी कुछ न्यौछावर कर एकाकार हो जाना चाहता है, यही प्रेम की प्रवृत्ति है। प्रेम में हिसाब किताब नहीं होता अतः पाने या खोने के भाव से मुक्त रहना ही प्रेम का गुण है…
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