छत्तीसगढ़ में भी ब्लैक फंगस महामारी घोषित
छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) ने ब्लैक फंगस को महामारी (नोटिफिएबल डिसीज) घोषित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (शासकीय और निजी) को ब्लैक फंगस की स्क्रिनिंग, पहचान, प्रबंधन के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य शासन/ आई.सी.एम.आर./ भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों एवं समय-समय पर जारी संशोधित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
रायपुर| छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) ने ब्लैक फंगस को महामारी (नोटिफिएबल डिसीज) घोषित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (शासकीय और निजी) को ब्लैक फंगस की स्क्रिनिंग, पहचान, प्रबंधन के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य शासन/ आई.सी.एम.आर./ भारत सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों एवं समय-समय पर जारी संशोधित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
छत्तीसगढ़ के सभी स्वास्थ्य प्रदाताओं को ब्लैक फंगस के संदेहास्पद या पुष्टिकृत प्रत्येक प्रकरण को संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करना अनिवार्य होगा। इसके तहत कोई भी व्यक्ति/संस्था द्वारा ब्लैक फंगस के लिए किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रानिक या अन्य प्रकार के मीडिया का उपयोग, स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति द्वारा इस नियम की अवज्ञा करने पर भारतीय दण्ड सहिता 1860 (45) की धारा 188 के तहत दण्डनीय उपराध माना जाएगा|
अधिसूचना इसके प्रकाशन की तिथि से लागू होगी एवं आगामी एक वर्ष तक वैध रहेगी। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के संक्रमण से मौत का सिलसिला शुरू हो चुका है।
इधर शुक्रवार को रायपुर में इलाज करा रही दो महिलाओं ने दम तोड़ दिया। अब तक 6 मरीजों की मौत हो चुकी है। जबकि 114 मरीजों का इलाज चल रहा है। एम्स पहुंचे करीब 25 लोगों की सर्जरी की जा चुकी है, जिनमें कुछ मरीजों की एक आंख तथा एक मरीज के दिमाग तक फंगस पहुंच चुका था। एम्स के अलावा आंबेडकर अस्पताल में 6 तथा कुछ निजी अस्पतालों में इस तरह की शिकायत लेकर आने वालों का इलाज चल रहा है।
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल कालेजों में इसके इलाज की सुविधा दी गई है और जल्दी ही इसे आयुष्मान योजना में शामिल करने की तैयारी की जा रही है।
भारत में लगभग 8,848 ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं, जो कोविड-19 से उबरने वालों में तेजी से फैलने वाले संक्रमणों में से एक है। गुजरात में सबसे अधिक 2,281 ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं, इसके बाद महाराष्ट्र (2,000), आंध्र प्रदेश (910), मध्य प्रदेश (720) राजस्थान (700), कर्नाटक (5,00), हरियाणा (250), दिल्ली (197), पंजाब ( 95), छत्तीसगढ़ ( 114), बिहार (56), तमिलनाडु (40), केरल (36), झारखंड (27), ओडिशा (15), गोवा (12) और चंडीगढ़ (8) का स्थान है।
ब्लैक फंगस एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है जो म्यूकोर्मिसेट्स नामक मोल्ड के समूह के कारण होता है, जो कोविड-19 रोगियों में विकसित हो रहा है। फंगल रोग आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है, जिन्हें लंबे समय से स्टेरॉयड दिया गया था और जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे, ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर थे।
इसके अलावा यह स्वच्छता की कमी के कारण भी फैलता है। ऐसे मरीज भी इसकी चपेट में आए हैं, जिन्हें अस्पताल की खराब स्वच्छता का सामना करना पड़ा या जो अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह के लिए दवा ले रहे थे। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो ब्लैक फंगस का संक्रमण घातक हो सकता है।
इस बीच, पटना स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है। पहले भी यह बीमारी थी। उन्होंने कहा कि इससे डरने नहीं बल्कि सचेत और जागरूक होने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कम इम्युनिटी वाले लोगों को मिट्टी से भी ब्लैक फंगस का संक्रमण हो सकता है। मिट्टी, नमी वाले स्थान, सड़ी वस्तुएं भी कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए ब्लैक फंगस का कारक हो सकते हैं।
डॉक्टर अनिल का मानना है कि कोरोना के भय के कारण बिना किसी डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड लेना ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है। कोरोना काल में संक्रमण के कारण अचानक से ऐसे मामले बढ़े हैं। इसमें शुगर हाई होना, स्टेरॉयड का हाईडोज लेना, बिना एक्सपर्ट की निगरानी के डेक्सोना जैसे स्टेरॉयड की हाई डोज लेना बड़ा कारण बन सकता है।