भोपाल । मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के नगर निगम अधिकारी विजय सक्सेना के दफ्तर में रखी अलमारी के लाकर को भी खुलवाया जिसमें 10.68 लाख रुपये नगद पाए गए। लोकायुक्त के अधिकारियों ने जब सक्सेना से इतने सारे रुपयों के बारे में पूछा तो सक्सेना ने बताया कि उसने अपनी देवास की संपत्ति 20 लाख रुपये में बेची, यह उसी का पैसा है।
इस पर अधिकारियों ने पूछताछ की कि बाकी पैसा कहां है और यह पैसा घर न रखकर यहां कार्यालय में क्यों रखा है? इसका सक्सेना कोई जवाब नहीं दे पाया। इसी तरह महिला कर्मचारी हेमाली की अलमारी से रिश्वत के 25 हजार के अलावा 18 हजार और मिले।
मालूम हो कि विजय और हेमाली को ठेकेदार चौबे से नौ लाख रुपये का भुगतान करने के एवज में लोकायुक्त पुलिस ने 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों को पकड़ा था।महिला कर्मचारी की अलमारी से लोकायुक्त पुलिस को एक डायरी भी मिली है। इसमें पैसों के लेनदेन का हिसाब है। इसमें लिखा है कि किससे कितने पैसा लिए और किसको कितने दिए, यह सब लिखा है।
लोकायुक्त पुलिस के अधिकारियों ने नाम तो उजागर नहीं किए, लेकिन माना जा रहा है कि रिश्वत के पैसे का लेनदेन उनकी बनाई व्यवस्था के तहत होता था। पैसा महिला कर्मचारी के पास रखा जाता था। इसके बाद वह अधीक्षक के पास से होते हुए ऊपर तक भी जाता था।
लोकायुक्त पुलिस के अफसरों ने जैसे ही सक्सेना और हेमाली के दफ्तर में छापामार कार्रवाई की और रिश्वत के रुपये बरामद किए तो दोनों सकते में आ गए। जिस समय शिकायतकर्ता ठेकेदार धीरेंद्र चौबे रुपये लेकर सक्सेना के पास पहुंचा, उस समय कार्यालय में और लोगों की भी आवाजाही थी।
जैसे ही ठेकेदार ने रिश्वत के रुपये दिए, उसने बाहर मौजूद लोकायुक्त अफसरों को इशारे से बता दिया। तत्काल लोकायुक्त की टीम ने सक्सेना और हेमाली को पकड़ लिया। इसके बाद कई घंटों तक लोकायुक्त अधिकारियों की कार्रवाई चलती रही, लेकिन सक्सेना और हेमाली की बोलती बंद रही।