वैज्ञानिकों ने कृत्रिम प्रजनन की प्रक्रिया में स्पर्म-इंजेक्शन रोबोट का उपयोग कर ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. इस तकनीक की मदद से विश्व में पहली बार एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसे रोबोट-सहायता प्राप्त कृत्रिम गर्भाधान (IVF) के जरिए गर्भ में विकसित किया गया. इस क्रांतिकारी उपलब्धि में 40 वर्षीय महिला को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की सहायता से गर्भधारण कराया गया, जिसके परिणामस्वरूप एक स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ.
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रगति उर्वरक प्रक्रिया को मानकीकृत करेगी और भविष्य में IVF की कुछ प्रक्रियाओं की सफलता दर को बढ़ा सकती है.
IVF और ICSI तकनीक का उपयोग
IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पिता के शुक्राणु को माता के अंडाणु के साथ कृत्रिम रूप से जोड़ा जाता है, ताकि गर्भाधान हो सके, जो प्राकृतिक रूप से विभिन्न कारणों से संभव नहीं हो पाता. जिन दंपतियों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वे अक्सर IVF का सहारा लेते हैं, जिसमें कई भ्रूण निर्माण तकनीकों में से एक है ICSI (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन).
लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ICSI में एकल शुक्राणु को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है, जो विशेष रूप से पुरुष बांझपन के मामलों में उपयोगी है. यह प्रक्रिया मेक्सिको के ग्वाडलाजारा में मशीनों द्वारा की गई, जबकि न्यूयॉर्क के हडसन में विशेषज्ञों ने इसे दूर से नियंत्रित किया.
परीक्षण और सफलता
इस स्वचालित ICSI तकनीक से पांच अंडाणुओं को निषेचित किया गया. प्रयोग अत्यंत सफल रहा, जिसमें पांच में से चार अंडाणु भ्रूण में विकसित हुए. पहला भ्रूण प्रत्यारोपण में सफल नहीं हुआ, लेकिन दूसरा प्रयास सफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप एक महिला ने बेटे को जन्म दिया. यह उपलब्धि IVF के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है.
ICSI तकनीक की सीमाएं और स्वचालन के लाभ
ICSI प्रक्रिया में मानवीय त्रुटियों के कारण असफलता हो सकती है, क्योंकि इसमें भ्रूणविज्ञानी को माइक्रोइंजेक्शन सिस्टम को अत्यंत कुशलता से संचालित करना पड़ता है, जिसके परिणाम भिन्न हो सकते हैं. शोध में शामिल नहीं रहे डॉ. एर्कन ब्यूक ने बताया कि भ्रूणविज्ञान प्रयोगशालाओं में स्वचालन बहुत लाभकारी होगा, क्योंकि ICSI एक श्रमसाध्य प्रक्रिया है.
स्वचालित ICSI से अंडाणु की झिल्ली पर यांत्रिक प्रतिरोध कम होता है, जिससे अंडाणु को नुकसान का जोखिम घटता है. न्यूयॉर्क की बायोटेक कंपनी कॉन्सीवेबल लाइफ साइंसेज के जैक्स कोहेन और उनकी टीम ने एक विशेष मशीन विकसित की है, जो ICSI प्रक्रिया को 23 सटीक चरणों में पूरा करती है.
AI-संचालित रोबोट की भूमिका
यह AI-संचालित रोबोट एक बटन दबाने से परिणाम देता है, जो IVF में एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है. कॉन्सीवेबल के सह-संस्थापक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी एलेजांद्रो चावेज-बडियोला ने बताया कि ICSI को मानकीकृत करने से मानवीय त्रुटियां और अंडाणु क्षति कम हो सकती है.
यह सिस्टम AI का उपयोग कर सर्वोत्तम शुक्राणु का चयन करता है और व्यवहार्य भ्रूणों का आकलन करता है. शुक्राणु को स्थिर करने और अंडाणु में इंजेक्शन जैसे प्रमुख चरण मनुष्यों द्वारा दूर से नियंत्रित किए जाते हैं. हालांकि स्वचालित प्रक्रिया में समय अधिक लगता है, इसने परीक्षण में पांच में से चार अंडाणुओं को सफलतापूर्वक निषेचित किया.
भविष्य की संभावनाएं
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, टीम इस सिस्टम को और बेहतर करने पर काम कर रही है. सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है. डॉ. एमिली जंगहेम ने बताया कि इस तरह की तकनीकी प्रगति IVF को अधिक सुलभ और स्केलेबल बना सकती है. चावेज-बडियोला का मानना है कि ICSI का पूर्ण स्वचालन संभव है, जिसमें मानव निरीक्षण की भूमिका बनी रहेगी.