रजिंदर खनूजा
पूरे भारत देश मे दीपावली मनाने का कारण भगवान राम का चौदह वर्षों के वनवास से वापस अयोध्या लौटने को माना जाता है. परन्तु सिक्ख धर्म मानने वाले दीपावली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते है. जानकारों के मुताबिक सिक्खों के छठवें गुरु हरगोविंद राय ने इसी दिन के चंगुल से 52 हिन्दू राजाओं को मुक्त करवाया था.
बताया जाता है कि मुगलों ने जब मध्य प्रदेश के ग्वालियर के किले को अपने कब्जे में लिया तो उन्होंने इसे जेल में तबदील कर दिया था. इस किले में मुगल सल्तनत के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों को कैद करके रखा जाता था. बादशाह जहांगीर ने यहां 52 राजाओं के साथ 6वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब को कैद कर रखा था. जानकार बताते हैं कि जहांगीर को सपने में एक रूहानी हुक्म के कारण गुरु हरगोबिंद साहिब को रिहा करने पर मजबूर होना पड़ा था.
जब मुगल बादशाह को जब अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने हरगोबिंद साहिब से लौटने का आग्रह किया. इसके बाद गुरु साहिब ने कहा कि वह अकेले नहीं जाएंगे. उन्होंने कैदी राजाओं को भी मुक्त कराने की बात कही. जिस पर मुगल बादशाह ने शर्त रखी थी. इसके बाद गुरु साहिब के लिए 52 कली का चोला (वस्त्र) सिलवाया गया। 52 राजा जिसकी एक-एक कली पकड़कर किले से बाहर आ गए. इस तरह उन्हें कैद से मुक्ति मिल सकी थी.
दीवाली के दिन दरबार साहिब में हुआ था आगमन
इतिहास के अनुसार दीपावली के दिन ही गुरु हरगोविंद सिंह के साथ सभी 52 राजाओं का दरबार साहिब अमृतसर आगमन हुआ था.आगमन पर इनके स्वागत के लिए पूरे अमृतसर को दियो से सजाया गया था. सभी ओर अतिशबाजो के साथ युद्ध कौसल का प्रदर्शन भी किया गया था. तभी से सिक्ख समाज देश विदेश में दीवाली के साथ दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाते आ रहे है.चूंकि दीपावली मा लक्ष्मी की पूजा का सबसे बड़ा पर्व है लिहाजा सिक्ख धर्मावलम्बी भी दाता बंदी छोड़ दिवस के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नही रख पाए.