अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत एक बार फिर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. 2021 में 855 अरब डॉलर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की टॉप फाईव इकोनॉमी में शामिल तो हो गया है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां अभी भी वहीं की वहीं यानि जस की तस हैं.
डॉ. लखन चौधरी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत एक बार फिर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. 2021 में 855 अरब डॉलर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की टॉप फाईव इकोनॉमी में शामिल तो हो गया है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां अभी भी वहीं की वहीं यानि जस की तस हैं. इस समय 8 फीसदी से उपर बेरोजगारी दर के साथ मौसमी एवं आंशिक बेरोजगारी भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार इस समय अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2021 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की जीडीपी 25,350 अरब डॉलर थी. चीन की जीडीपी अमेरिका से लगभग पांच हजार अरब डॉलर कम है. 2021 में चीन की जीडीपी 19,910 अरब डॉलर थी. जापान की जीडीपी 4,910 अरब डॉलर और जर्मनी की 4,260 अरब डॉलर थी.
भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. हांलाकि इसमें कोई नई बात नहीं है. इसके पहले भी भारत 2019 में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था. अब एक बार फिर ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. भारत के लिए निश्चित तौर से यह एक बड़ी उपलब्धि है.
मगर सवाल यह है कि क्या इससे भारत या भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां कम हो सकेंगी ? दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से क्या भारतीय अर्थव्यवस्था की चिंताएं कम हो जायेंगी ? दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से क्या भारत की गरीबी मिट सकेगी ? इससे भारत की बेकारी कम हो जायेगी ? और भी कई सवाल एवं चिंताएं हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्णं तो यही हैं कि इससे भारत या भारतीयों को क्या, कितना फायदा होगा ? या होगा भी ?
इस अवधि में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर रही. यानि 2019 के बाद 2021 में भारत से लगभग 39 अरब डॉलर कम हो गई है। इसकी मुख्य वजह वहां की महंगाई को माना जा रहा है. कहा जा रहा है ब्रिटेन पिछले चार दशकों में सबसे तेज मुद्रा स्फीति और मंदी का सामना कर रहा है. वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है. एक दशक पहले भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था.
(लेखक; प्राध्यापक, अर्थशास्त्री, मीडिया पेनलिस्ट, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषक एवं विमर्शकार हैं)
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