छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा चुनाव जितने के लिए जोड़तोड़ का सिलसिला जारी है. इस चुनाव की खास बात यह है कि आम लोग प्रमुख दलों के घोषणा पत्र का मूल्यांकन कर रहे है।जिससे अब धीरे धीरे घोषणा पत्र का चुनावों में महत्व बढ़ता जा रहा है.
विधान सभा चुनाव प्रचार प्रारम्भ होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों की कर्ज माफी एवम जाति आधारित जनगणना को मास्टर स्ट्रोक की तरह उपयोग करना प्रारम्भ कर दिया है. मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के सभी स्टार नेताओ का फोकस किसानों पर ही है।विगत चुनाव में भी किसानों के लिए कर्ज माफी एवम धान का समर्थन मूल्य 2500 करने की घोषणा ने प्रदेश में कांग्रेस के लिए वोट की झड़ी लगा दी थी जिससे कांग्रेस को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिल गया था. शायद यह पहला अवसर था जब किसी राजनीतिक पार्टी ने किसानों को फोकस करते हुए अपना घोषणा पत्र जारी किया था.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी, फिर कर्जा माफ़, प्रति एकड़ 3200 रुपये में धान खरीदी
कांग्रेस को किसानों का भारी समर्थन देख कर भाजपा भी किसानों के समर्थन में ही दिखाई देने लगी है. भाजपा से हिंदुत्व का मुद्दा भूपेश बघेल द्वारा छीन लेने से परेशान भाजपा को अब मजबूरन किसानों के हित की बात करनी पड़ रही है. परन्तु किसानों का कर्ज माफी का वायदा एक बार पुनः कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक बन सकता है. इसके अलावा भाजपा ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल नगद में खरीदने का वायदा कर किसानों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है परन्तु भाजपा ने कर्ज माफी की घोषणा नही की है. जिससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
छत्तीसगढ़ भाजपा का घोषणा पत्र: प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान, 3100 रूपये एकमुश्त
प्रदेश के अधिकतर विधान सभा मे भाजपा प्रत्याशी मोदी की गारंटी से अंदरूनी रूप से प्रसन्न नहीं है. ये मात्र ऊपरी तौर पर ही भाजपा की गारंटी की तारीफ कर रहे है. परन्तु भाजपा के घोषणा पत्र में गैस सिलेंडर में सब्सिडी, महिलाओं के खाते में प्रतिमाह 1000 रुपये की सहायता सहित कोई दो दर्जन से अधिक वायदे मोदी की गारंटी में किये गए है. इनमे सबसे बड़ा वायदा किसानों के लिए है जिसमे भाजपा सरकार बनते ही किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपये में खरीदने का वायदा किया गया है. इसके नगद भुगतान का वायदा किसानों को को रिझाता हुआ दिख रहा है. जबकि कांग्रेस सरकार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान 3200 में खरीदने का वायदा कर रही है. परन्तु कांग्रेस सरकार धान की राशि किस्तों में देगी जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ सकता है.
पहली बार दिखा घोषणा पत्र का इंतजार
चुनावो में एक समय था जब आमलोगों की नजरों में राजनीतिक पार्टियों की नजर में घोषणा पत्र कोई मायने नही रखता था.परन्तु विगत 2 चुनावों के दौरान घोषणा पत्र के अनुरूप कार्य करने के विपक्ष के दबाव के चलते अब घोषणा पत्र का महत्व बढ़ गया है.अब लोग मतदान के पहले पार्टियों के घोषणा पत्र पढ़ने लगे है.
शराब बंदी कोई मुद्दा नहीं रहा
लगता है अब प्रदेश में शराबबंदी कोई मुद्दा ही नही रहा. शायद इसीलिए इस चुनाव में किसी भी दल ने शराबबंदी के वायदे से स्वयम को दूर रख आम लोगो को आश्चर्य में डाल दिया है. दोनों ही दल अपनी सरकारों में यह बात भली भांति जान चुके है कि बगैर शराब बिक्री किये सरकार चलना कठिन ही नही असम्भव से हो गया है.
-रजिंदर खनूजा
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक हैं)
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