कोरोना संक्रमण की नई लहर ने छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में एक बार फिर लॉकडाउन की शुरूआत करवा दी है। छत्तीसगढ़ सहित दर्जनों राज्यों की बिगड़ती स्थिति पर काबू पाने के लिए एक बार फिर पूर्णबंदी या लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू जैसे कवायदों की सख्तियों की शुरूआत हो गई है। राज्य सरकारों के समक्ष चिंताएं एवं चुनौतियां इस बार एक अलग स्वरूप में दिखाई दे रहीं हैं क्योंकि इस बार कोरोना के लक्षण कुछ अलग तरह के हैं।–डॉ. लखन चौधरी
कोरोना संक्रमण की नई लहर ने छत्तीसगढ़ में एक बार फिर लॉकडाउन की शुरूआत करवा दी है। अंततः सरकार को पूर्णबंदी जैसे कदम उठाने को विवश होना पड़ रहा है। सवाल कई तरह के हैं, लेकिन इस वक्त मुख्य सवाल यही है कि इसके लिए जवाबदेह कौन है ? इसके लिए सरकार और लोगों में से अधिक लापरवाही किसकी है ?
दुर्ग जिला से सरकार में सर्वाधिक केबिनेट मंत्री हैं। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री जैसे कई कद्दावर मंत्रियों के जिलों की इस तरह की बदतर स्थिति सरकार की प्रशासनिक अक्षमता मानी जाये या नहीं यह कहना तो जल्दबाजी होगी, बहरहाल सरकार के लिए सवाल एवं मुश्किलें दोनों मुसीबत खड़ा करते दिख रहें हैं।
कोरोना संक्रमण के नये वेरियेंट या नई म्युटेंट के कारण छत्तीसगढ़ सहित दर्जनों राज्यों की बिगड़ती स्थिति पर काबू पाने के लिए एक बार फिर पूर्णबंदी या लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू जैसे कवायदों की सख्तियों की शुरूआत हो गई है।
राज्य सरकारों के समक्ष चिंताएं एवं चुनौतियां इस बार एक अलग स्वरूप में दिखाई दे रहीं हैं क्योंकि इस बार कोरोना के लक्षण कुछ अलग तरह के हैं।
जाहिर है कि इस बार राज्य सरकारों को कोरोना संक्रमण से अलग तरह से जूझना है और इससे उबरने एवं निपटने के लिए उपाय भी नये तरीके से करना है।
इस बार की पहली चिंता एवं चुनौती यह है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की तेजी से बढ़ती संक्रमण दर को कैसे रोका जाये। दूसरी चिंता टीकाकरण की दर को कैसे बढ़ाया जाये। जिस गति एवं रफ्तार से दूसरी लहर का संक्रमण फैल रहा है एवं बढ़ रहा है, उसे अब लॉकडाउन जैसे उपायों से रोकना एवं निपटना असंभव तो है ही, साथ ही साथ अब यह व्यावहारिक एवं उचित भी नहीं है।
उद्योगधंधे, अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही खराब चल रहीं हैं। जीएसटी संग्रहण पहले से ही बहुत कम हो रहे हैं। स्थितियां तेजी से सुधरती दिख रहीं थीं, मगर दूसरी लहर से सारे सकारात्मक नतीजों के उल्टे पड़ने की आशंकाएं बढ़ती दिख रही हैं।
उद्योग-धंधों एवं अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने और विकास दर की गिरावट को रोकने जैसे उपायों पर छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य सरकारों ने बेहतर काम करते हुए अर्थव्यवस्थाओं को सुस्ती से बाहर निकालने के लिए सराहनीय काम किया जिसका नतीजा यह निकला है कि उद्योग-धंधे एवं कारोबार को गति मिली है। रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं एवं बढ़ाएं जा रहे हैं। बाजार की स्थितियों में सुधार हुआ है, बाजार में उपभोक्ता मांग बढ़ी है। कुल मिलाकर एक साल बाद स्थितियां काबू में आ गई थीं।
लेकिन अब सारे प्रयासों पर पानी फिरता दिख रहा है और महाराष्ट्र सहित कुछेक राज्यों में तो स्थितियां बेकाबू होती दिखने लगीं हैं। यदि यह स्थिति फिर पहले जैसे हो गई तो इस बार कारोबार, उद्योग-धंधों एवं अर्थव्यवस्थाओं को संभालना बहुत कठिन हो सकता है।
विकासदर की चिंता तो छोड़िये, रोजगार की स्थिति ही विकराल हो सकती है। अर्थव्यवस्था लंबी अवधि के लिए सुस्ती एवं मंदी की चपेट में आ सकती है। महंगाई बेकाबू होकर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
इस समय कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की तेजी से बढ़ती संक्रमण दर से बचने एवं इसकी आसन्न चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य सरकारों को अपनी कामकाज की शैलियों में सुधार करने की सख्त जरूरत है।
कोरोना की वजह से राज्यों के राजस्व एवं संसाधनों पर आई गिरावट को राज्य सरकारों ने नजर अंदाज करते हुए अपने खर्चों में अपेक्षित कटौती नहीं की, जितनी उन्हें की जानी चाहिए थी। केन्द्र सहित कई राज्य सरकारों ने अपने गैर-जरूरी खर्चों एवं निर्माण कार्यों पर रोक नहीं लगाई है।
केन्द्र सरकार लगातार रक्षा खर्चों, निर्माण कार्यों पर होने वाले को बढ़ाती जा रही है, जिसकी इस समय उपयोगिता एवं जरूरत उतनी नहीं है जितनी सरकार समझ रही है।
पूरी दुनिया कोविड-19 संकट से जूझ रही है, मगर हमारी सरकार लगातार राफेल विमानों की खरीदी पर भारी-भरकम बजट खर्च करने में लगी है। संसद भवन अभी सालों तक काम आ सकता है, उस पर भारी खर्च करने को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना चुकी है।
शिक्षा, महंगाई, रोजगार जैसे जन उपयोगी मसलों पर केन्द्र सरकार चुप्पी साधकर अनेंको गैर-जरूरी मसलों पर राजस्व एवं संसाधनों की बबार्दी पर रोक लगाने में नाकाम दिखती है।
इस समय सरकारों को सारे गैर-जरूरी प्रशासनिक खर्चों में कटौती करनी चाहिए। सारे गैर-जरूरी निर्माण कार्यो को फिलहाल स्थगित करना चाहिए। केन्द्र सहित सभी राज्य सरकारों फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरुरत है। इस समय जो सबसे बड़ी जरूरत है वह यह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई भर्तियों को तत्काल प्रभाव से अंजाम दिया जावे।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने की जरुरत है। इन उपायों के द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरुरत है ताकि बाजार में उठाव एवं मांग पैदा हो। इससे अर्थव्यवस्था संभलेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और सरकारों का राजस्व भी बढ़ेगा।
बदलते वक्त में सरकारों को अपनी कार्यशैली में बदलाव करने की जरूरत है जिससे कोरोना से निपटने एवं उबरने में सहूलियत हो। अब लाकडाउन जैसे उपाय कतई उचित एवं व्यावहारिक नहीं हो सकते हैं।
टीकाकरण बढ़ाने के साथ लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना होगा। टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के साथ उसके बाद भी एवं बाद की सावधानी के साथ जीने की आदत के लिए उत्प्रेरित एवं जागरूक करना होगा।
जब तक लोग स्वयं अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक नहीं होंगे, तब तक सरकारों के सारे उपाय नाकाम ही सिद्ध एवं साबित होंगे। इसलिए जन चेतना, जन शिक्षा एवं जन जागरूकता बढ़ाना सबसे सकारात्मक, महत्वपूर्णं एवं सार्थक उपाय होगा।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की तेजी से बढ़ती संक्रमण दर से बचने एवं इसकी आसन्न चुनौतियों से निपटने एवं उबरने से अधिक जरूरी जन मानस की मानसिकता में बदलाव एवं सकारात्मक परिवर्तन लाने की है | व्यक्तिगत सावधानियां, व्यक्तिगत साफ-सफाई एवं व्यक्तिगत चेतना ही स्वास्थ्य की कुंजी है। यही बात लोगों को समझने एवं समझाने की जरूरत है।
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