रजिंदर सिंह खनूजा
नानक सागर: सिक्खों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी 517 बरस पहले जगन्नाथ पुरी से अमरकंटक जाते छत्तीसगढ़ के इस गाँव में 2 दिन बिताये थे | यह गाँव महासमुन्द जिले के बसना ब्लाक के गढ़फुलझर से लगा है | वे जिस गाँव में रुके उस गाँव का नाम पड़ा नानकसागर| नानक सागर में जिस स्थान पर श्रीगुरुनानक देव जी रुके थे उसका नाम नानक डेरा रखा गया है| गाँव के मामले यहीं बैठकर सुलझाये जाते हैं | चौंकाने वाली बात यह है कि नानक सागर में करीब पांच एकड़ भूमि राजस्व रिकॉर्ड में श्री गुरुनानक देव जी के नाम से दर्ज है।
अब इस स्थान की जानकारी सिक्ख समाज को होते ही नानकसागर को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की मांग होने लगी है। सिक्खों के प्रथम गुरु के रुकने के इस ऐतिहासिक स्थान पर गुरुद्वारा एवम स्कूल कॉलेज एवम अस्पताल खोलने हेतु सिक्ख समाज संकल्पित हुआ है।
महासमुन्द जिले के बसना तहसील अंतर्गत बसना पदमपुर मार्ग पर कोई 16 किलोमीटर दूरी पर बसा है नानकसागर ग्राम। इस ग्राम के नाम से ही लगता था कि इस ग्राम का सम्बन्ध सिक्खों के प्रथम गुरु से होगा। लिहाजा क्षेत्र के कुछ जानकर लोगो ने इसकी पड़ताल प्रारम्भ की।
पड़ताल में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि नानक सागर में कोई पांच एकड़ भूमि राजस्व रिकॉर्ड में श्री गुरुनानक देव जी के नाम से दर्ज है।जिसके सर्वराकार जसपाल सिंह का नाम है जबकि प्रबंधक कमलसिंह कलेक्टर का नाम दर्ज देखा गया।
इस जानकारी के बाद रायपुर के सिक्ख समाज के एक युआ रिंकू ओबेरॉय ने इसकी गहन पड़ताल कर इतिहास खंगाल कर इस ग्राम की खासीयत सबके सामने पेश की।इसके बाद छत्तीसगढ़ सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उक्त स्थान पर एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा बनाने का प्रण लिया है।
नानकसागर से लगे अंकोरी स्कूल के पूर्व प्रधानपाठक बसना निवासी श्री राम साहू ने बताया कि गुरुनानक देव जी का यहाँ आगमन 517 बरस पहले होने की जानकारी यहाँ के बुजुर्गों द्वारा दी जाती रही है | नानकसागर एक एतिहासिक धरोहर है , इसे संरक्षित किया जाना चाहिए | यहाँ के रामचंडी मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में शासन द्वारा विकसित किया गया है | अगर नानक सागर को भी संरक्षित किया जाय तो बसना धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना पहचाना जायेगा |
फुलझर के राजा ने दी थी जमीन
गढ़फुलझर के समीप नानकसागर में श्री गुरुनानक देव जी के रुकने के कुछ प्रमाण मिले है। इसके बारे में रायपुर के युवा रिंकू ओबेरॉय ने बताया कि आज से सैकड़ो साल पहले श्री गुरु नानक देव जी छत्तीसगढ़ में आए थे।इतिहास के पने पलटने से पता चला कि पूर्व में यहां 36 स्टेट थे और 36 राजा थे जिसमें से एक गढ़फुलझर स्टेट भी था। जिसका राजा का नाम मानसराज सागरचंद भैना था जिसे आज मंझला राजा के नाम से क्षेत्र में पूजा जाता है। वह आस्था का प्रतीक है।
ग्राम नानक सागर के चार बार सरपंच रह चुके सुवर्धन प्रधान ने बताया कि उनके पूर्वजों से जानकारी मिली थी कि श्री गुरुनानक देव जी जगन्नाथ पुरी से कटक होते हुए अमरकंटक जबलपुर गए थे| तब गढ़फुलझर में 2 दिन रूके थे गढ़फुलझर के राजा ने उनकी 2 दिन सेवा संभाल की थी। इस दौरान गुरु नानक की वाणी से राजा अत्यधिक प्रभावित हुए थे।
इसके बाद गुरुनानक देव जी के वहा से आगे बढ़ते ही भैना राजा ने निशानी के तौर पर उनके नाम से करीब 5 एकड़ जमीन कर दी। गढ़फुलझर में जहां राजा का महल था वहां मानसरोवर से लगी हुई करीब 5 एकड़ जमीन आज भी श्री गुरु नानक देव जी के नाम से है और जहां रानी का महल है वहां भी एक तालाब है तालाब के किनारे वहां रानी सागर के नाम से गांव था। जिस को राजा ने नानक सागर के नाम से प्रचलित किया |नानक सागर गांव आज भी वहां पर हैं।
नानकसागर ग्राम के सभी मकान गुलाबी
इस प्रतिनिधि ने नानक सागर गांव का दौरा किया ।इस गांव में अनुशासन एवम साफ सफाई देखते बनती है। यहां जितने भी घर हैं वह गुलाबी रंग के हैं लिहाजा इस गांव को साफ सफाई के नाम से माननीय राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है यहां पर राजा के समय से बहुत ही प्रसिद्ध रामचंडी मंदिर भी है।
दिल्ली निवासी आनन्द के प्रयास सफल
विगत 28 फरवरी के पहले उनके पुत्र ने रायपुर के रिंकू से मिली जानकारी के बारे में उन्हें बताया था इसके बाद वे 28 फरवरी को अपना जन्मदिन मनाने नानकसागर गए थे। वहा जाने के बाद उन्हें एक अजीब सा सुकून मिला। इसके बाद वे लगातार पखवाड़े भर के अंतराल में गढ़फुलझर जाते रहे। उन्हें वहां कुछ खासियत लगी तब उन्होंने क्षेत्र के सिक्ख समाज से धन एकत्र कर गढ़फुलझर में एक गुरुद्वारा का निर्माण करवाया है।
श्री आनन्द के अनुसार वे कैंसर से पीड़ित से इस स्थान पर वे गुरु के दर्शन के लिए ही आये थे इसके बाद वे लगातार यहां आते रहे। कुछ दिन पूर्व ही वे आने डॉक्टर के पास कैंसर की जांच के लिए गए थे परन्तु वे यह देख कर चोंक गए कि उनको अब कैंसर है ही नही। इस बात को वे गुरु की महिमा ही मानते है।उनका कहना है कि विश्वास से उन्होंने कैंसर पर भी विजय प्राप्त कर ली।
नानकसागर में पुलिस-राजस्व का कोई मामला नहीं
नानकसागर ग्राम के 20 वर्ष तक सरपंच रह चुके सुवर्धन प्रधान बताते हैं कि उनके ग्राम में जिस स्थान पर श्रीगुरुनानक देव जी रुके थे अब उस स्थान का नाम नानक डेरा रखा गया है। होश संभालने के बाद से वे देखते आये है कि ग्राम के बड़े से बड़े विवाद नानक डेरा में बैठक लेकर निपटा दिए जाते है।
इस ग्राम के किसी भी निवासी पर ना कभी कोई पुलिस का मामला दर्ज हुआ है ना ही कोई राजस्व का ही मामला है।वर्तमान सरकार द्वारा नरवा गरवा घुरवा बारी योजना में ग्राम वासियों के बीच विवाद की स्थिति बनी थी परन्तु नानक डेरा में सभी पक्षो को बैठाकर ज़ब चर्चा की गई तब आश्चर्यजनक तरीके से उलझा मामला भी आसानी से सुलझ गया।
अब ग्रामीण भी चाहते है कि अब यहां श्री गुरुनानक देव जी का गुरुद्वारा बने साथ ही अस्पताल और स्कूल कॉलेज बने। शासन को इस क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए।
महेंद्र छाबड़ा भी पहुंचे नानकसागर
नानकसागर ग्राम के बारे में चर्चा प्रारम्भ होने के बाद मंगलवार को प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र छाबड़ा भी गढ़फुलझर पहुंचे । छत्तीसगढ़ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने भी उक्त ऐतिहासिक स्थल का निरीक्षण किया।
निरिक्षण के बाद श्री छाबड़ा ने उपस्थित सामाजिक एवम ग्रामीणों को बताया कि वे इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के लिए प्रदेश के मुखिया से चर्चा करेंगे।
इस सम्बंध में गढ़फुलझर गुरुद्वारा में ही एक बैठक भी आयोजित की गई जिसमें प्रदेश गुरुद्वारा कमेटी से स्टेशन रोड गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष निरंजन सिंह खनूजा,कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह छाबड़ा,सतपाल सिंह सिंह खनूजा,गुरमीत सिंह गुरुदत्ता,कुलवंत सिंह खनूजा,अरविंदर छाबड़ा,मंजीत सिंह सलूजा,बंटी चावला,हरजीत सिंह कलसी,मंजीत सिंह अहलूवालिया,एवम रोमी सलूजा सहित सैकड़ों ग्रामीण एवम सिख समाज के सदस्य एवम महिला सदस्य उपस्थित थे।