व्यायाम से मस्तिष्क की इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार: नई स्टडी का खुलासा

टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता या फिर उनका शरीर इस पर सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देता, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया कहा जाता है.

टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जो शरीर में इंसुलिन के उपयोग को प्रभावित करती है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो कोशिकाओं को रक्त प्रवाह से ग्लूकोज (शुगर) अवशोषित करने और उसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने में मदद करता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता या फिर उनका शरीर इस पर सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देता, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया कहा जाता है. यह समस्या आमतौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में देखी जाती थी, लेकिन मोटापे और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण अब यह समस्या बच्चों और किशोरों में भी बढ़ रही है.

व्यायाम के अनगिनत स्वास्थ्य लाभों से हम सभी परिचित हैं, लेकिन हाल ही में ‘एजिंग सेल’ पत्रिका में प्रकाशित एक नई स्टडी ने इसके एक और महत्वपूर्ण फायदे पर रोशनी डाली है. इस अध्ययन के अनुसार, नियमित शारीरिक गतिविधि मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती है, खासकर मस्तिष्क कोशिकाओं की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में सुधार कर. यह रिसर्च अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के स्टीवन मलिन के नेतृत्व में की गई, जिसमें व्यायाम और मस्तिष्क में इंसुलिन प्रतिक्रिया के बीच संबंध को समझने का प्रयास किया गया.

मलिन ने ‘PsyPost’ को दिए गए एक बयान में कहा, “हमारा मानना है कि यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुझाव देता है कि व्यायाम मस्तिष्क में इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाकर संज्ञानात्मक क्षमता और याददाश्त में सुधार कर सकता है.”

इस अध्ययन में न्यूरोनल एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स (NEVs) की भूमिका को भी जांचा गया. ये छोटे कण मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा छोड़े जाते हैं और एक प्रकार की संदेशवाहक प्रणाली की तरह काम करते हैं, जिससे मस्तिष्क के विभिन्न भागों में प्रोटीन और अन्य अणु भेजे जाते हैं. यह प्रक्रिया मस्तिष्क की इंसुलिन प्रतिक्रिया को प्रभावित करती है.

अध्ययन में 21 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें अधिकांश महिलाएँ थीं और जिनकी औसत आयु 60 वर्ष थी. सभी प्रतिभागी ‘प्रीडायबिटीज’ से पीड़ित थे, जिसमें रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक लेकिन डायबिटीज के स्तर तक नहीं पहुँचता. ये प्रतिभागी शारीरिक रूप से निष्क्रिय थे, यानी प्रति सप्ताह 60 मिनट से कम व्यायाम करते थे, और कोई भी धूम्रपान नहीं करता था.

इन प्रतिभागियों को दो सप्ताह तक पर्यवेक्षित व्यायाम सत्र कराए गए, जिनमें उन्होंने प्रत्येक दिन एक घंटे तक मध्यम से उच्च तीव्रता वाली साइकलिंग की. प्रत्येक सत्र के पहले और बाद में, प्रतिभागियों को ग्लूकोज युक्त पेय दिया गया, जिससे उनके शरीर की इंसुलिन प्रतिक्रिया को ट्रिगर किया जा सके. इसके अलावा, अध्ययन की शुरुआत और अंत में रक्त के नमूने एकत्र किए गए, ताकि न्यूरोनल एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स में इंसुलिन-संबंधी प्रोटीन में आए परिवर्तनों का विश्लेषण किया जा सके.

अध्ययन के नतीजे उल्लेखनीय रहे. दो सप्ताह के व्यायाम कार्यक्रम के बाद, न्यूरोनल एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स में ‘Akt’ नामक प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि देखी गई. यह प्रोटीन कोशिकाओं में इंसुलिन की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खासतौर पर ग्लूकोज पेय के सेवन के बाद, इस वृद्धि को अधिक स्पष्ट रूप से देखा गया, जिससे पता चलता है कि व्यायाम ने मस्तिष्क की इंसुलिन प्रतिक्रिया को बेहतर बनाया.

सरल शब्दों में कहें तो इस अध्ययन में पाया गया कि व्यायाम से मस्तिष्क की कोशिकाएँ इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में अधिक सक्षम होती हैं. इसके अलावा, प्रतिभागियों के समग्र रक्त शर्करा नियंत्रण में भी सुधार देखा गया.

मलिन ने कहा, “हमने पहली बार यह दिखाया कि व्यायाम न केवल रक्त शर्करा में सुधार करता है, बल्कि न्यूरोनल एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स के माध्यम से मस्तिष्क की इंसुलिन संवेदनशीलता पर भी प्रभाव डालता है.”

इस अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि नियमित व्यायाम शरीर और मस्तिष्क को मिलकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में अधिक सक्षम बनाता है. डायबिटीज या उसके जोखिम से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण खोज हो सकती है, जो उनकी संज्ञानात्मक क्षमता को बेहतर बनाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है.

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