नई दिल्ली| देश में कोरोना महामारी को देखते स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को कम से कम अगले दो से तीन वर्षों तक के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है। जब तक हमारे पास ऐसी ओरल दवा उपलब्ध नहीं हो जाती, जो वायरस का खात्मा कर सके, खुद को तैयार करने की जरूरत है|
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और देश के लिए जीवन रक्षक ऑक्सीजन सिलेंडर और प्रमुख दवाओं को उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक हमारे पास ऐसी ओरल दवा उपलब्ध नहीं हो जाती, जो वायरस का खात्मा कर सके, तब तक देश को एक लंबी दौड़, यानी कम से कम अगले 2-3 वर्षों के लिए खुद को तैयार करने की आवश्यकता है।
भारत में कोरोनावायरस के कई वेरिएंट सामने आए हैं और देश संक्रमण के अधिक घातक रूपों का सामना कर रहा है। यहां तक कि देश को ट्रिपल-म्यूटेंट के खतरे ने भी घेर लिया है।
इ1617 वैरिएंट पहली बार महाराष्ट्र में पता चला, इसमें दो अलग-अलग वायरस वेरिएंट – ई484क्यू और एल452आर जैसे म्यूटेशन हैं। तीसरा म्यूटेंट डबल म्यूटेंट से विकसित हुआ है, जहां तीन अलग-अलग कोविड स्ट्रेन ने मिलकर एक नया वेरिएंट तैयार किया है। इनमें से दो ट्रिपल-म्यूटेंट महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से एकत्र नमूनों में पाए गए हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों को मौजूदा डरावनी स्थिति के विपरीत अगले कुछ वर्षों के लिए एक अच्छी तरह से चाक-चौबंद योजना बनाने की जरूरत है, क्योंकि महामारी के एक मौसमी फ्लू जैसी बीमारी के तौर पर रहने की संभावना है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक मेदांता-द मेडिसिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ नेता गुप्ता ने से कहा, “भविष्य एक रहस्य बना हुआ है। अगर स्ट्रेन संक्रामक बने रहते हैं तो कोविड लंबे समय तक जारी रह सकता है और यह आने वाले वर्षों में हम पर जोरदार प्रहार कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए आदर्श स्थिति ओरल दवाएं होंगी, जो प्रभावी रूप से वायरस को मार सके और ओपीडी के आधार पर इनका उपयोग करना भी सुरक्षित हो। तब तक मास्क, हाथ की स्वच्छता और सामाजिक दूरी हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और यह हमारे जीवन का एक हिस्सा होना चाहिए।
शिकागो में इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 फ्लू की तरह मौसमी हो सकता है।
हैदरबाद के केआईएमएस अस्पताल में वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट वी. रमन प्रसाद के अनुसार, कोविड अब किसी भी अन्य संचारी रोग की तरह समुदाय में हमेशा के लिए रहने वाला है।
प्रसाद ने कहा, “किसी भी देश के लिए एकमात्र विकल्प अपने अधिकांश लोगों का टीकाकरण करना है, ताकि बीमारी की गंभीरता रुग्णता और मृत्यु दर के संदर्भ में कम हो। दो-तीन वर्षों के बाद, यह स्थानिक हो सकता है और हम कोविड मामलों की छिटपुट तेजी देख सकते हैं, जैसे स्वाइन फ्लू।”
जयपुर चेस्ट सेंटर के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट शुभ्रांशु ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि चीजों को सामान्य होने में लगभग एक-दो साल लग सकते हैं, बशर्ते हम ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करें और सामाजिक दूरियां बनाए रखें।