रायपुर| छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण में लगातार बढ़ोत्तरी जारी है। रविवार की तुलना में सोमवार को मरीजों की संख्या में करीब 3 हजार की बढ़त हुई है। हालांकि बीते 24 घंटे में मौत के आंकड़े जरूर कम हुए हैं लेकिन यह सैकड़ा पार कर गया है। राजधानी रायपुर अब भी हॉटस्पॉट बना हुआ है।
छत्तीसगढ़ में बीते 24 घंटे में नए संक्रमित मरीज 13576 मिलने की पुष्टि मेडिकल बुलेटिन में की गई है। वही प्रदेश भर में 4436 मरीज डिस्चार्ज भी हुए हैं। इसके साथ ही 107 लोगों ने कोरोना संक्रमण से दम तोडा ।
प्रदेश भर में अब तक मिले संक्रमण के प्रकरण 458883 है। तो वही डिसचार्ज की संख्या 352986 है। इसी तरह अब तक हुई मौत का आंकड़ा 5031 पहुंच गया है। आंकड़ों के अनुसार अब प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 98856 है, जिन का इलाज जारी है।
जिलेवार स्थिति की बात करें तो बीते 24 घंटे में रायपुर हॉटस्पॉट रहा, जहां से 3442 मरीजों की पुष्टि की गई है। वही दूसरे स्थान पर दुर्ग है, जहां 1599 मरीज मिले और तीसरा राजनांदगांव हैं,जहां 1132 संक्रमित पाए गए हैं। इसी तरह दीगर जिलों में भी मामले सामने आ रहे हैं|
राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए एतिहात बरतना शुरू कर दिया है। एक तरफ सरकार ने जहां टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ाई है, तो वही 7 शासकीय और 5 निजी लैब में RTPCR जांच और 4 नए वायरोलॉजी लैब शुरू करने के आदेश दे दिए हैं। जिससे RTPCR जांच की हिस्सेदारी लगातार बढ़ाई जा सके।
प्रति दस लाख की आबादी पर रोजाना सैंपल जांच में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय औसत से काफी आगे है। वही प्रदेश भर में वैक्सीनेशन पर भी शासन स्तर पर जोर दिया जा रहा है ताकि सभी का टीकाकरण किया जा सके।
इधर राजधानी रायपुर अब भी हॉटस्पॉट बना हुआ है। डाक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल तेजी से घट रहा है। मरीज अस्पताल में भर्ती होकर इलाज ले पाए, उससे पहले उसकी सांसें थम जाती हैं।
डाक्टरों का कहना है कि लोग लक्षण आने पर लोग बिना कोरोना जांच कराए ही इलाज लेना शुरू कर देते हैं। जब हालत बिगड़ती है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। कोरोना संक्रमित निकलने पर अस्पताल तो पहुंचे पर ऑक्सीजन लेवल इतना कम हो जाता कि उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
मरीज अस्पताल में भर्ती होकर इलाज ले पाए, उससे पहले उसकी सांसें थम जाती हैं।
डाक्टरों के मुताबिक राजधानी रायपुर में बीते दस दिन में 35 लोगों की मौत इसी वजह से हुई, जिनका ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे था।
डाक्टर बताते हैं कि लक्षण आने पर लोग कोरोना की जांच नहीं कराते। एक-दो दिन बिना डाक्टर परामर्श के ही इलाज ले लेते हैं। जब ठीक नहीं होते तो वह डाक्टर की सलाह पर भी कोरोना जांच नहीं कराते। इस बीच चार से छह दिन गुजर चुके होते हैं और वायरस लंग्स तक पहुंच चुका होता है।