दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अपने जीवनसाथी की समाज और उसके आफिस में इज्जत उछालना तलाक का मजबूत आधार है।
दरअसल एक सैन्य अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी जिसको स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की। इस अधिकारी की पत्नी ने वरिष्ठ अधिकारियों और महिला आयोग में पति के खिलाफ कई शिकायतें की थी।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी द्वारा इस तरह का अपमान निश्चित रूप से पुरुष पर क्रूरता करना है और वैवाहिक कानूनों के तहत तलाक का मजबूत आधार है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने फैसले में कहा कि जब जीवनसाथी की प्रतिष्ठा उसके सहयोगियों, सीनियर्स और समाज में तार-तार हो जाती है तो प्रभावित पक्ष से इस तरह के आचरण के लिए माफी देने की उम्मीद करना मुश्किल है। इस तरह की परिस्थितियों में अन्याय करने वाला पक्ष यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसका वैवाहिक जीवन बना रहे।
पीठ ने कहा है कि जब जीवनसाथी के आचरण के कारण किसी का कॅरिअर और प्रतिष्ठा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाए तो इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि वे एकसाथ रहें।