प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शुक्रवार सुबह तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का ऐलान किया, विरोध कर रहे किसानों से अपने परिवारों के पास घर लौटने और नए सिरे से शुरुआत करने” का आग्रह किया। लेकिन क्या किसान लौटेंगे ? आन्दोलनकारी किसानों ने तब तक नहीं घरों को नहीं लौटने का फैसला किया है जब तक कृषि कानूनों को संसद में रद्द नहीं कर दिया जाता |
पढ़ें प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का किया ऐलान
किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्विट किया है , आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें|
मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसान इस बाबत 20 नवंबर को बैठक करेंगे |
इधर एक और किसान नेता नरेश टिकैत ट्विट किया है , किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे । यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी । जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे । जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा ।
दो दिन पहले किसान नेता नरेश टिकैत ट्विट किया था ,सरकार से किसान बेहद नाराज है। किसान आंदोलन इतिहास बन गया है, किसानों पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी है। लेकिन किसानों को लंबा संघर्ष करना होगा। आंदोलन को दिनचर्या का हिस्सा बना लें। किसान बॉर्डर को मजबूत करें। (deshdesk)