वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद से दूर केरल में गरमाई बहस, मुनंबम ज़मीन विवाद बना केंद्रबिंदु

वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद से दूर केरल में गरमाई बहस, मुनंबम ज़मीन विवाद बना केंद्रबिंदु

कोच्चि/तिरुवनंतपुरम: संसद में राजनीतिक गर्मी के बीच पारित हुआ वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 अब केरल में ज़मीन विवाद को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है. कोच्चि के उपनगर मुनंबम में करीब 600 कैथोलिक परिवारों को बेदखली का सामना करना पड़ रहा है, जहां उन्होंने 1960 के दशक में फारूक कॉलेज (कोझीकोड) से ज़मीन खरीदी थी. अब केरल वक्फ बोर्ड इस पर मालिकाना हक जता रहा है.

करीब 400 एकड़ ज़मीन को लेकर चल रहे इस विवाद में अब बीजेपी ने भी दखल दी है. पार्टी नेताओं ने मुनंबम जाकर स्थानीय लैटिन कैथोलिक समुदाय को भरोसा दिलाया है कि वे उनके साथ खड़े हैं और विधेयक के ज़रिये न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे.

कैथोलिक चर्च ने विधेयक को बताया ‘स्थायी समाधान’

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) और केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने केरल के सांसदों से अपील की थी कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करें. उनका कहना है कि मौजूदा वक्फ कानून में कुछ धाराएं भारतीय संविधान की भावना और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं.

CBCI ने बयान में कहा, “वक्फ बोर्ड ने इन्हीं धाराओं का हवाला देकर मुनंबम की 600 से अधिक परिवारों की पैतृक संपत्तियों को वक्फ ज़मीन घोषित कर दिया है. यह विवाद बीते तीन वर्षों से जटिल कानूनी संघर्ष में बदल चुका है. इसका स्थायी समाधान केवल कानून में संशोधन से ही संभव है.”

मुस्लिम संगठनों ने जताई नाराजगी

वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों ने इस स्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई है. समस्था केरल जमीयतुल उलेमा के अध्यक्ष सैयद जिफ़री मुथुक्कोया थंगल ने CBCI की अपील को सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरा बताया और आरोप लगाया कि चर्च भाजपा के ‘विभाजनकारी एजेंडे’ को आगे बढ़ा रहा है.

थंगल ने कहा, “चाहे संसद इसे पारित कर दे, हम वक्फ कानूनों में संशोधन के खिलाफ लोकतांत्रिक लड़ाई जारी रखेंगे. सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए.”

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव

केरल में करीब 65 लाख ईसाई रहते हैं, जो राज्य की आबादी का लगभग 19% हैं. इनमें से कैथोलिक समुदाय (सिरो-मलाबार, लैटिन, सिरो-मलंकारा चर्च) सबसे बड़ा हिस्सा रखता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समुदाय का झुकाव धीरे-धीरे भाजपा की ओर बढ़ रहा है.

यह समर्थन 2024 लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जब सुरेश गोपी ने त्रिशूर सीट से जीत हासिल कर भाजपा का राज्य में पहला लोकसभा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया. अब भाजपा को उम्मीद है कि आगामी विधानसभा चुनावों में तटीय इलाकों और पर्वतीय क्षेत्रों में उसे इस समुदाय का बड़ा समर्थन मिल सकता है.

‘मोदी गारंटी’ बनाम वक्फ कानून

बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष डॉ. के.एस. राधाकृष्णन ने वक्फ संशोधन को मुनंबम के निवासियों के लिए ‘मोदी गारंटी’ बताया. उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक के माध्यम से मुनंबम के लोगों को उनकी ज़मीन पर वैधता मिलेगी और बेदखली से राहत मिलेगी. “हमने इस समस्या का हल सर्जिकल स्ट्राइक की तरह निकाला है,” उन्होंने कहा.

जहां राष्ट्रीय स्तर पर वक्फ विधेयक पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है, वहीं केरल में यह विधेयक भूमि अधिकार, धर्मनिरपेक्षता और समुदायों के बीच विश्वास जैसे जमीनी मुद्दों से जुड़ता नजर आ रहा है. आने वाले समय में यह राज्य की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है.

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