वाशिंगटन । अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि पेंसिल की नोक में इस्तेमाल होने वाली ग्रेफाइट की मदद से मात्र 6.5 मिनट में कोविड की जांच की जा सकती है।
कोरोना की नई जांच सस्ती होने के साथ तेज है और 100 फीसदी तक सटीक नतीजे देती है। अमेरिका की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान में मौजूद कोरोना की ज्यादातर जांचें महंगी हैं।
इसके लिए ट्रेन्ड प्रोफेशनल की जरूरत पड़ती है, लेकिन ग्रेफाइट से होने वाली जांच से इसकी कीमत 100 रुपए तक घटाई जा सकती है।
इस जांच का नाम लीड (लो-कॉस्ट इलेक्ट्रोकेमिकल एडवांस्ड डायग्नोस्टिक) टेस्ट रखा गया है। जांच के लिए ग्रेफाइड की छड़ी को इलेक्ट्रोड की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
इसे सलाइवा या नाक से लिए सैम्पल और ह्यूमन एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम-2 के साथ रखा जाता है। ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड को केमिकल सिग्नल से जोड़ा जाता है। जांच के दौरान केमिकल सिग्नल बताते हैं मरीज पॉजिटिव है या निगेटिव।
वैज्ञानिकों का कहना है, लार यानी सलाइवा के सैम्पल से जांच करने पर 100 फीसदी तक सटीक जांच के नतीजे मिलते हैं। वहीं, ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड से नाक के सैम्पल की जांच करने पर 88 फीसदी तक सटीक नतीजे सामने आते हैं।
पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सीजर डी ला फ्यूनटे का कहना है इस लीड टेस्ट की किट में इस्तेमाल होने वाला मटीरियल कम कीमत में उपलब्ध है।
शोधकर्ता सीजर डी का कहना है, “हम इंडस्ट्री पार्टनर के साथ मिलकर अधिक से अधिक क्लीनिकल ट्रायल करेंगे। ट्रायल के नतीजे आने के बाद जल्द से जल्द यह जांच आम लोगों को उपलब्ध होगी।
” किट को असेंम्बल करना भी आसान है और इससे कोई भी आम इंसान घर पर ही जांच कर सकता है। कोरोना की यह जांच खासकर लोअर-मिडिल आय वाले देशों के लिए काम की साबित होगी।
जांच के इस तरीके से दूसरी संक्रमण फैलाने वाली बीमारियों का पता चल सकेगा। इस जांच दूसरी बीमारियों के लिए तैयार करने के लिए रिसर्च जारी है।