टोक्यो । ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने पिछले नौ साल से कोई छुट्टी नहीं ली और वह लगातार अभ्यास करती रही हैं।
अब लवलीना साल 2012 के बाद पहली बार छुट्टी लेकर जश्न मनाएंगी। 23 साल की लवलीना को वेल्टरवेट (69 किलो) सेमीफाइनल में मौजूदा विश्व चैम्पियन तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली ने 5-0 से हराया। मुकाबले के बाद लवलीना ने कहा कि उसका लक्ष्य स्वर्ण जीतना था, उसके लिए मेहनत भी की थी , इसलिए निराश होना स्वभाविक है पर वह कांस्य की खुशी जरुर मनाएंगी।
उन्होंने कहा कि मैं अपनी रणनीति पर अमल नहीं कर सकी। वहीं विरोधी पहलवान काफी ताकतवर थी। मुझे लगा कि बैकफुट पर खेलने से चोट लगेगी, तो मैं आक्रामक हो गई पर इसका लाभ नहीं मिला। लवलीना ने कहा कि अब मैं एक महीने या ज्यादा का ब्रेक लूंगी। मैं मुक्केबाजी करने के बाद से कभी छुट्टी पर नहीं गई। अभी तय नहीं किया है कि कहां जाऊंगी लेकिन मैं छुट्टी लूंगी।
विजेंदर सिंह , एम सी मैरीकॉम के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बनी लवलीना ने कहा कि मैं हमेशा से ओलंपिक में पदक जीतना चाहती थी। मुझे खुशी है कि पदक मिला पर इससे अधिक मिल सकता था। उन्होंने कहा कि मैंने इस पदक के लिए 8 साल तक मेहनत की है।
मैं घर से दूर रही, परिवार से दूर रही और मनपसंद खाना नहीं खाया। यह पदक उनके ही लिये नहीं बल्कि असम के गोलाघाट में उनके गांव के लिये भी जीवन बदलने वाला रहा क्योंकि अब बारो मुखिया गांव तक पक्की सड़क बनाई जा रही है। इस बारे में उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि सड़क बन रही है। जब घर लौटूंगी तो अच्छा लगेगा।