रांची। सरकारी निर्देशानुसार नगर पंचायत द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक व थर्मोकोल के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए छापेमारी शुरू कर दी गयी है। वहीं, मार्केट से थर्मोकोल की प्लेट व कटोरियां अब गायब हो गयी है। ऐसे में जिनके पास स्टॉक था, वे चोरी छिपे ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें खपाने में लगे हैं। दूसरी ओर पत्तों से बना प्लेट व दोना (कटोरी) का मार्केट पुनर्जीवित हो गया है।
साप्ताहिक हाट में पत्तों से बने प्लेट और कटोरी बेचने वालों की बढ़ी संख्याः साप्ताहिक हाट व दुकानों में साल पत्तों से बनाये गए प्लेट और कटोरी बेचने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। विदित हो कि वर्षों पूर्व शादी ब्याह, पिकनिक, देवालयों में भंडारा सहित अन्य भोज-भात में साल पत्तों से बने प्लेट व कटोरियों का उपयोग होता था। इसे बनाने वालों को आवश्यकता के अनुसार अग्रिम देकर पत्ते कटोरी बुक कराने पड़ते थे। लेकिन थर्मोकोल के मार्केट में आते ही यह कारोबार एक तरह से थम गया था।
वन क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के स्वरोजगार से जुड़ा है पत्ता प्लेट- कटोरी बनाने का धंधाः सरायकेला के वन क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुतायत है, जिसके पत्तों से प्लेट व कटोरियां बनाने की पुस्तैनी धंधे से वन क्षेत्र की महिलाएं जुड़ी हुई हैं। बांस के पतले सिंकों से पत्तों को प्लेट और कटोरियों का आकार देने में ये निपुण हैं। अधिकतर महिलाएं इस कार्य में जुड़ी रहती हैं व ऑर्डर मिलने पर या नजदीकी हाट बाजारों में इसे बेचने जाती हैं। नई पीढ़ी की महिलाएं कहती हैं कि अगर स्थायी रूप से थर्मोकोल जैसी प्रदूषण उतपन्न करने वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगायी जा रही है, तो पत्तल प्लेट के धंधे को बढ़ावा देना चाहिये। इस धंधे से जुड़े लोग पूंजी के अभाव में कम कीमत पर दुकानदारों को बेच देते हैं। वहीं, दुकानदार उसी को अधिक कीमत पर बाजार में बेच कर मुनाफा कमाते हैं।