भुवनेश्वर। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने की पहल पर जोर देते हुए ओडिशा सरकार ने आज विभिन्न विभागों में नौ और दागी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से आज जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि जहां अधिकारियों ने तीन भ्रष्ट अधिकारियों को सेवाओं से निकाल दिया, वहीं छह और अधिकारियों की पेंशन अक्षमता और भ्रष्ट आचरण के कारण स्थायी रूप से बंद कर दी गई है।
सरकार ने नवरंगपुर जिले के पूर्व सहायक कृषि अधिकारी गोकुल चंद्र नायक को सतर्कता मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोप में बर्खास्त कर दिया।
इसी तरह, बरगढ़ जिले के सोहेला स्थित आरडब्ल्यूएसएस के पूर्व कनिष्ठ अभियंता उपेन्द्र भंज नायक के खिलाफ ईमानदारी नहीं बरतने और कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में सेवा से बर्खास्त करने की कार्रवाई की गई है।
भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए गए सुंदरगढ़ जिला स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग के पूर्व लेखा परीक्षक सुशील कुमार मेहर को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
इसके अलावा, सरकार ने आरडब्ल्यूएसएस डिवीजन-द्वितीय के पूर्व कार्यकारी अधिकारी शिवराम बिस्वाल की पेंशन रोक दी है, जो भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं।
इसी तरह, कलाहांडी जिले के कार्लामुंडा के पूर्व बीडीओ गंदराम खमारी, जी उदयगिरि के पूर्व सहायक कृषि अधिकारी कृष्ण चंद्र गौड़ा, मलकानगिरी जिले के पूर्व मृदा संरक्षण अधिकारी दशरथी त्रिपाठी, मयूरभंज जिले के उदाला के पूर्व सामाजिक शिक्षा अधिकारी आनंद चंद्र नायक और की पेंशन और ग्रेच्युटी शामिल हैं। इन दागी अधिकारियों को भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद नयागढ़ जिले के चांदपुर के पूर्व डीएमएसएन अधीक्षक को स्थायी रूप से रोक दिया गया है।
इसके साथ, अब तक कुल 197 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है, जिससे उन्हें ओडिशा सरकार में उनकी सेवा अवधि के दौरान भ्रष्ट आचरण में शामिल होने के कारण पेंशन लाभ नहीं मिल पा रहा है।