भुवनेश्वर। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षण संस्थानों के परिसरों से सामाजिक भेदभाव के पूर्ण उन्मूलन का आह्वान किया है, चाहे वह आईआईटी हो या कोई भी निजी संस्थान। यहां 55वीं आईआईटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए।
प्रधान ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि किसी भी संस्थान में कोई सामाजिक भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह आईआईटी हो या निजी संस्थान। यह सुनिश्चित करना अधिकारियों और छात्रों की जिम्मेदारी है कि परिसरों में कोई भेदभाव न हो।
55वीं परिषद की बैठक में 23 आईआईटी के निदेशक और यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने भाग लिया। मंत्री ने इन प्रमुख तकनीकी संस्थानों से छात्रों के ड्रॉपआउट का मामला भी उठाया।
सूत्रों के अनुसार, परिषद अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए समर्थन बढ़ाने पर सहमत हुई और एक अतिरिक्त वर्ष के लिए महिला पीएचडी छात्रों के कार्यकाल को बढ़ाने का संकल्प लिया।
इसने एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली, मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं को बढ़ाने, दबाव को कम करने और छात्रों के बीच विफलता और अस्वीकृति के डर को कम करने के महत्व पर प्रकाश डालने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।