भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार को तृणमूल सांसद यूसुफ पठान पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह “चाय पीने” में व्यस्त हैं, जबकि मुर्शिदाबाद में वाक़्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान वहां के लोग तबाही और अराजकता का शिकार हो रहे थे.
इन हिंसक प्रदर्शनों में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गए, क्योंकि जिले के समसेरगंज, सुति, धुलियान और जंगीपुर क्षेत्रों में भीड़ की हिंसा, आगजनी और पुलिस फायरिंग की घटनाएं हुईं.
BJP नेता ने पठान पर उठाए सवाल
BJP नेता शहजाद पूनावाला ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “तृणमूल सांसद यूसुफ पठान चाय पी रहे हैं, जबकि बंगाल ‘वाक्फ विरोधी’ प्रदर्शनों के नाम पर जल रहा है. वह इस क्षण का आनंद ले रहे हैं, जबकि हिंदुओं पर हमला हो रहा है.”
पठान का बयान और विवादित इंस्टाग्राम पोस्ट
पठान, जो पूर्व क्रिकेटर हैं और मुर्शिदाबाद जिले की बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, ने 12 अप्रैल को इंस्टाग्राम पर एक फोटो साझा की थी, जिसमें वह सफेद शर्ट और पैंट में चाय पीते हुए नजर आ रहे थे. उन्होंने पोस्ट के साथ लिखा था, “आसान दोपहरें, अच्छी चाय, और शांतिपूर्ण माहौल. बस इस पल को महसूस कर रहा हूं.”
मुर्शिदाबाद में हिंसा और प्रशासनिक कार्रवाई
मुर्शिदाबाद में शुक्रवार को वाक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगाई, सुरक्षा बलों से भिड़े और रेलवे और सड़क यातायात को बाधित किया. इसके बाद शनिवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया.
BJP नेताओं का आरोप, हिन्दू परिवारों को पलायन करने पर मजबूर किया गया
BJP के बंगाल प्रमुख और केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार ने आरोप लगाया कि मुर्शिदाबाद के विभिन्न इलाकों में रहने वाले बंगाली हिंदू परिवारों को धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और उन्हें मालदा के पैरेलल हाई स्कूल में शरण लेनी पड़ी.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान
इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की और कहा कि “कुछ राजनीतिक दल” धर्म का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए करने की कोशिश कर रहे हैं.
यह घटना पश्चिम बंगाल में धार्मिक और राजनीतिक तनाव को और बढ़ाती है, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आरोप है कि कुछ ताकतें हिंसा का राजनीतिकरण कर रही हैं.