पटना: जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद कासिम अंसारी ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया, उन्होंने इसके समर्थन में वक्फ संशोधन बिल को लेकर असहमतिपूर्ण बयान दिया. यह बिल लोकसभा में देर रात पास हुआ, जिसमें एनडीए का हिस्सा जेडीयू ने समर्थन दिया, जबकि कई जगहों से इसका विरोध हो रहा था.
अपने इस्तीफे में अंसारी ने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लिखित पत्र में निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारतीय मुसलमानों का विश्वास टूट गया, जिन्होंने जेडीयू को धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का रक्षक माना था.
अंसारी ने पत्र में लिखा, “मैं निराश हूं कि मैंने पार्टी को अपनी जिंदगी के कई साल दिए.” उन्होंने आगे कहा, “सभी भारतीय मुसलमानों की तरह हमें भी यह विश्वास था कि आप एक शुद्ध धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के समर्थक हैं. लेकिन अब यह विश्वास टूट गया है. लाखों भारतीय मुसलमान और कार्यकर्ता इस फैसले से गहरे आहत हैं.”
अंसारी ने वक्फ बिल को “भारतीय मुसलमानों के खिलाफ” करार देते हुए इसे “किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं” बताया. उन्होंने कहा, “यह बिल संविधान के कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. इसके माध्यम से भारतीय मुसलमानों का अपमान और तिरस्कार किया जा रहा है, और न तो आप और न ही आपकी पार्टी इसे समझ रही है. मुझे खेद है कि मैंने अपनी जिंदगी के कई साल पार्टी को दिए.”
यह घटनाक्रम तब सामने आया जब केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता राजीव रंजन सिंह ने लोकसभा में इस बिल का बचाव किया था. उन्होंने कहा कि यह बिल पारदर्शिता लाने और मुस्लिम समुदाय के सभी वर्गों की भलाई के लिए है. उन्होंने यह भी कहा कि बिल को “मुसलमान विरोधी” के रूप में पेश करने की कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने इस दावे को नकारा.
राजीव रंजन सिंह ने कहा, “वक्फ एक प्रकार का ट्रस्ट है, जिसे मुसलमानों के हित में काम करने के लिए स्थापित किया जाता है. यह कोई धार्मिक संस्था नहीं है. इस ट्रस्ट का अधिकार है कि वह सभी मुसलमानों के लिए न्याय सुनिश्चित करे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.” उन्होंने विपक्षी दलों पर राजनीतिक कारणों से गलत narrative बनाने का आरोप लगाया.
वक्फ (संशोधन) बिल को लोकसभा में 12 घंटे लंबी बहस के बाद पारित किया गया था. अब यह बिल राज्यसभा में जाएगा, जहां एनडीए के पास बहुमत है. राज्यसभा में एनडीए के पास 245 सदस्यीय सदन में 125 सांसद हैं, जो विपक्ष से पांच अधिक हैं, जिससे संख्यात्मक दृष्टिकोण से सरकार को समर्थन मिलेगा.