मुंबई । भारत के कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान अगले महीने थोड़ा और बल मिल सकता है। देश में निर्मित की गई सिंगल डोज वाली ‘स्पूतनिक लाइट’ वैक्सीन सितंबर में चिकित्सा बाजार में उतरने वाली है।
पनेसिया बायोटेक ने हाल ही में भारत के ड्रग रेगुलेटर के सामने एक डॉजियर सबमिट किया है और आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। पनेसिया और रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के बीच पहले ही समझौता हो चुका था।
‘स्पूतनिक लाइट’ शुरुआत में सीमित मात्रा में उपलब्ध होगी। इसकी कीमत 750 रुपए रहने का अनुमान है। स्पूतनिक लाइट’ को भी गामलेया इंस्टिट्यूट ने तैयार किया है।
रिसर्च को आरडीआईएफ ने पूरा समर्थन दिया है। मई में इस वैक्सीन को रूस में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। विशेषज्ञ इस वैक्सीन को ज्यादा ‘सुरक्षित’ मानते हैं।
तीसरी लहर के खतरे के बीच जल्द से जल्द वैक्सीनेशन में सिंगल डोज वाली वैक्सीन बड़े काम आ सकती है। आरडीआईएफ के एक बयान के अनुसार, रूस में हुए ट्रायल में स्पूतनिक लाइट ने 80फीसदी एफेकसी दिखाई।
अभी तक, दो डोज वाली स्पूतनिक वी वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है। हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के ऊपर इस वैक्सीन को भारत में लगाने का जिम्मा है।
सूत्रों के मुताबिक, स्पूतनिक वी की किल्लत इस महीने के आखिर तक खत्म हो सकती है। स्पूतनिक वी के फुल रोलआउट को होल्ड पर डाल दिया गया था, इसी वजह से इसमें देरी हो रही है।
जुलाई में, पनेसिया बायोटेक ने ऐलान किया था कि उसे स्पूतनिक वी वैक्सीन बनाने का लाइसेंस मिल गया है। हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित प्लांट में बने वैक्सीन के बैच क्वालिटी चेंकिंग से पार पा चुके हैं।
सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी ने भी वैक्सीन को ओके कर दिया है। पनेसिया हर साल 10 करोड़ डोज बनाएगी जिसे डॉ रेड्डीज लगाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले एक विशेषज्ञ पैनल ने डॉ रेड्डीज को भारत में अप्रूवल के लिए रशियन डेटा सबमिट करने की अनुमति दे दी थी। चूंकि स्पूतनिक लाइट वास्तव में स्पूतनिक वी की पहली खुराक है, ऐसे में यह इजाजत दी गई।