भोपाल । केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए फसल बीमा के फार्मूले को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में खरीफ फसल की बोवनी कर चुके किसानों को अब फसल बीमा का लाभ मिलेगा। फार्मूले के तहत 80 फीसद से कम फसल को नुकसान होने पर बीमा कंपनी कुल दावे (क्लेम) और प्रीमियम के अंतर की राशि सरकार को लौटाएगी।
इसी तरह यदि नुकसान 110 फीसद से अधिक होता है तो दावे और प्रीमियम के अतिरिक्त राशि सरकार कंपनी को देगी। पिछले साल भी यही फार्मूला अपनाया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए इस फार्मूले को खरीफ और रबी फसलों के लिए लागू करने का अनुरोध किया था, जिसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अनुमति दे दी है।
वहीं, कृषि विभाग ने बीमा कंपनी तय करने के लिए निविदा आमंत्रित कर ली है। कंपनी तय होते ही किसानों से प्रीमियम की राशि लेकर बीमा किया जाएगा। प्रदेश में पिछले साल फसल बीमा करने के लिए सरकार ने तीन बार निविदा बुलाई थी लेकिन प्रीमियम दर अधिक होने के कारण सरप्लस शेयरिंग फार्मूले को लागू किया था।
इसमें यदि फसल को नुकसान होने पर बीमा दावा अस्सी फीसद से कम बनता है तो भुगतान के बाद अंतर के प्रीमियम की राशि उसे सरकार को वापस करनी होती है। 80 से 110 प्रतिशत तक पूरा भुगतान बीमा कंपनी को करना होता है। यदि दावा 110 प्रतिशत से अधिक होता है तो अतिरिक्त पूरी राशि का भुगतान शासन को करना होगा।
इसी फार्मूले को खरीफ और रबी फसल 2021 के लिए लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र कृषि मंत्रालय को भेजा था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे अनुमति देने का अनुरोध केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर किया था। अब केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति राज्य सरकार को दे दी है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल शिवराज सरकार ने किसानों को फसल बीमा के माध्यम से लगभग छह हजार करोड़ रुपये दिलवाए थे। खरीफ 2020 का बीमा मिलना अभी बाकी है। इसके लिए राजस्व विभाग से जो जानकारियां चाहिए थी, वो अब प्राप्त हो गई हैं।
इसके आधार पर बीमा दावा का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। कंपनियों के स्तर पर परीक्षण के बाद अंतिम निर्णय होगा। माना जा रहा है कि चार हजार करोड़ रुपये से अधिक का बीमा किसानों को मिल सकता है। सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह करके बीमा प्रीमियम जमा करने के लिए विशेष तौर पर अवधि बढ़वाई थी।
इसके कारण करीब 44 लाख किसानों का बीमा हुआ था। इस बारे में अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी का कहना है कि फसलों का बीमा करने के लिए बीमा कंपनियों को आमंत्रित किया गया है।
इस बार सरप्लस शेयरिंग फार्मूले के साथ परंपरागत फसल बीमा का विकल्प भी रखा गया है। दोनों में से जिसमें प्रीमियम की कम दर प्राप्त होगी, उस पर शासन द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।