नई दिल्ली: सरकार एक नई यूनिवर्सल पेंशन योजना लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत लोग स्वैच्छिक रूप से योगदान कर सकेंगे और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन लाभ प्राप्त कर सकेंगे. यह जानकारी द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में सामने आई है.
इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक रोजगार के दायरे से बाहर भी सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना और अधिक व्यापक वर्ग के लिए संरचित पेंशन प्रणाली उपलब्ध कराना है. श्रम और रोजगार मंत्रालय इस प्रस्तावित योजना पर काम कर रहा है, जिसमें मौजूदा पेंशन योजनाओं को एक साझा ढांचे के तहत लाने की योजना है.
रिपोर्ट में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि यह योजना सभी नागरिकों के लिए खुली होगी और इसे रोजगार से जोड़ा नहीं जाएगा. इसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह स्वरोजगार कर रहा हो या असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हो, इसमें योगदान देकर अपने भविष्य के लिए पेंशन सुरक्षित कर सकता है.
ईपीएफओ कर रहा है योजना का विकास
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) इस योजना को विकसित कर रहा है. जब इसका अंतिम ढांचा तैयार हो जाएगा, तो इसके सुचारू क्रियान्वयन के लिए विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया जाएगा.
इस योजना के तहत वर्तमान में संचालित प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (PM-SYM) और राष्ट्रीय पेंशन योजना फॉर ट्रेडर्स एंड सेल्फ-एम्प्लॉयड (NPS-Traders) जैसी योजनाओं को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. इन योजनाओं के तहत अभी सेवानिवृत्ति के बाद प्रति माह 3,000 रुपये की पेंशन दी जाती है, जिसमें 55 रुपये से 200 रुपये तक का मासिक योगदान देना होता है, जिसे सरकार भी समान रूप से योगदान देती है.
इसके अलावा, पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा संचालित अटल पेंशन योजना को भी इस नई यूनिवर्सल पेंशन योजना में शामिल किया जा सकता है. सरकार निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों के लिए बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (BoCW) एक्ट के तहत एकत्र किए गए उपकर (Cess) का उपयोग पेंशन फंडिंग के लिए करने पर भी विचार कर रही है.
किसे मिलेगा इस योजना का लाभ?
यूनिवर्सल पेंशन योजना से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, व्यापारियों, स्वरोजगार करने वालों और अन्य 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को लाभ होगा, जो 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन प्राप्त करना चाहते हैं.
सरकार यह भी प्रयास कर सकती है कि राज्य सरकारें अपनी मौजूदा पेंशन योजनाओं को इस नई पहल में विलय कर दें, जिससे पेंशन राशि बढ़ाई जा सके और लाभार्थियों की दोहरी गणना से बचा जा सके.
अन्य देशों में कैसी हैं पेंशन योजनाएं?
कई विकसित देशों में पहले से ही एक संरचित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है, जिसमें पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल और बेरोजगारी भत्ते शामिल हैं. अमेरिका, कनाडा, रूस, चीन और यूरोप के कई देशों में ऐसी योजनाएं प्रभावी रूप से संचालित हो रही हैं. डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देश अपने नागरिकों के लिए सार्वभौमिक पेंशन योजनाएं प्रदान करते हैं, जिससे बुजुर्गों को वित्तीय सुरक्षा मिलती है.
भारत में मौजूदा पेंशन प्रणाली और नई योजना की जरूरत
वर्तमान में भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली मुख्य रूप से भविष्य निधि (Provident Fund) पर आधारित है. इसके अलावा, वृद्धावस्था पेंशन योजनाएं और गरीबी रेखा से नीचे के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाएं भी हैं. हालांकि, यह प्रणाली सीमित वर्ग को ही कवर करती है. प्रस्तावित यूनिवर्सल पेंशन योजना का उद्देश्य कवरेज का विस्तार करना और देश के कार्यबल के लिए एक अधिक समावेशी एवं स्थायी पेंशन प्रणाली बनाना है.
सरकार के इस कदम से करोड़ों लोगों को सुरक्षित सेवानिवृत्ति का लाभ मिल सकता है, जिससे देश की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी.