नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और स्टैंडअप इंडिया योजना (एसयूपीआई) उद्यमियों को ऋण देने के लिए वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) द्वारा चलाई जा रही प्रमुख योजनाएं हैं। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डा. भागवत किसानराव कराड ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।
पीएमएमवाई के तहत, सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) द्वारा नए उद्यमों समेत सूक्ष्म अथवा लघु व्यवसाय से जुड़ी इकाइयों को उद्यमशील गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपये तक का संस्थागत ऋण प्रदान किया जाता है, जो विनिर्माण, व्यापार, सेवा क्षेत्र और कृषि से जुड़े कार्य जैसे क्षेत्रों में आय पैदा करने वाली गतिविधियां खड़ी करने में मदद करता है।
सरकार पीएमएमवाई के तहत मंजूर की जाने वाली राशि के संबंध में एमएलआई के लिए वार्षिक लक्ष्य आवंटित करती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में एमएलआई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है।
मंत्री द्वारा बताया कि सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) द्वारा मुद्रा पोर्टल पर 31 मार्च, 2021 तक अपलोड किए गए डाटा के मुताबिक, अप्रैल2015 में इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक देश भर में पीएमएमवाई के तहत 15.52 लाख करोड़ रुपये के 29.55 करोड़ से ज्यादा कर्ज मंजूर किए गए हैं।
इनमें से 5.20 लाख करोड़ रुपये के 6.80 करोड़ से ज्यादा कर्ज नई उद्यमियों/खातों को दिए गए हैं। एक अन्य फ्लैगशिप योजना स्टैंडअप इंडिया (एसयूपीआई) का ब्यौरा देते हुए मंत्री ने कहा कि यह विनिर्माण व्यापार या सेवा क्षेत्र में ग्रीनफील्ड उद्यम की स्थापना और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्जदार और कम से कम एक महिला कर्जदार को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करती है।