जम्मू: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने अपनी तैयारियों को और मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास शुरू किया है. सूत्रों के अनुसार, वायुसेना ने पहाड़ी क्षेत्रों और जमीनी ठिकानों पर हमले की स्थिति का अनुकरण करते हुए विशेष अभ्यास आयोजित किए. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, जिसके बाद देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं.
वायुसेना की त्वरित कार्रवाई
पहलगाम हमले ने सुरक्षा तंत्र में खामियों को उजागर किया था, जिसके बाद वायुसेना ने तत्काल कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में युद्धाभ्यास शुरू किया. इस अभ्यास में वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पहाड़ी क्षेत्रों में छिपे आतंकी ठिकानों और जमीनी लक्ष्यों पर सटीक हमले का अनुकरण किया. इसके अलावा, ड्रोन और अन्य हवाई निगरानी उपकरणों का भी उपयोग किया गया ताकि आतंकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
अभ्यास का उद्देश्य: वायुसेना का यह युद्धाभ्यास आतंकी हमलों से निपटने की तैयारियों को परखने और पहाड़ी क्षेत्रों में त्वरित जवाबी कार्रवाई की क्षमता को मजबूत करने के लिए आयोजित किया गया.
पहलगाम हमले ने बढ़ाई चिंता
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस हमले में पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जिससे क्षेत्र में पर्यटन उद्योग पर भी गहरा असर पड़ने की आशंका है. हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा चूक की बात स्वीकार की थी और जांच के आदेश दिए थे. इस बीच, वायुसेना का यह अभ्यास आतंकवाद के खिलाफ सरकार के कड़े रुख को दर्शाता है.
तकनीकी और सामरिक तैयारी
वायुसेना के इस अभ्यास में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया. सूत्रों के अनुसार, राफेल और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हेलीकॉप्टर और मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) ने भी हिस्सा लिया. अभ्यास के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में कम दृश्यता और जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में लक्ष्य भेदने की रणनीतियों का परीक्षण किया गया. इसके अलावा, सेना और वायुसेना के बीच समन्वय को भी परखा गया ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके.
क्षेत्रीय सुरक्षा पर नजर
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी बढ़ गया है. पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौता स्थगित करने और हवाई क्षेत्र बंद करने जैसे कदमों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. ऐसे में वायुसेना का यह अभ्यास न केवल आतंकी खतरों से निपटने की तैयारी है, बल्कि सीमा पर किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए सतर्कता का संदेश भी देता है.
आगे की रणनीति
वायुसेना के इस युद्धाभ्यास को विशेषज्ञों ने एक सकारात्मक कदम बताया है. कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के अभ्यास न केवल सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों को भी कड़ा संदेश देते हैं. सरकार ने संकेत दिए हैं कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे.