नई दिल्ली | | कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन के 100 दिन पूरे होने पर जहां एक तरफ किसान केएमपी एक्सप्रेस वे को ब्लॉक करेंगे, तो वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने पहले ही ‘हल’ पर काली पट्टी बांध अपने विरोध की शुरूआत कर दी है। इसमें मंच पर अनशन पर बैठे किसानों को भी काली पट्टी बांधी गई। किसानों द्वारा हल से खेती की जाती है, इसी के चलते इस पर काली पट्टी बांधी गई है।
इधर सोशल मिडिया पर ##FarmersProtest100Daysजारी है
किसान टोल प्लाजा को टोल फीस जमा करने से भी मुक्त करेंगे। हालांकि किसानों के मुताबिक यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा। सिंघु बॉर्डर से किसान कुंडली पहुंच एक्सप्रेस वे का रास्ता ब्लॉक करेंगे, तो वहीं इस मार्ग पर पड़ने वाले अन्य टोल प्लाजा को भी ब्लॉक करेंगे।
गाजीपुर बॉर्डर से किसान डासना टोल की ओर कूच करेंगे। टिकरी बॉर्डर से किसान नजदीक बहादुरगढ़ ब्लॉक करेंगे। साथ ही शाजहांपुर बॉर्डर पर बैठे किसान गुरुग्राम – मानेसर को छूता केएमपी एक्सप्रेस वे ब्लॉक करेंगे।
किसानों की तरफ से यह भी कहा जा रहा है कि जिन बॉर्डर्स से जो टोल प्लाजा नजदीक होगा उसे भी ब्लॉक कर दिया जाएगा।
बॉर्डर पर बैठे किसानों ने काली पट्टी बांधने के दौरान कहा कि “हम अनशन पर बैठे हैं, सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करा रहे हैं। ये लड़ाई आर पार की होगी जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी।”
किसान गाजीपुर बॉर्डर से डासना टोल की ओर कूच करेंगे, वहीं दुहाई, कासना, नोएडा आदि सब पर किसान रहेंगे और इन्हें जाम किया जाएगा
किसानों के मुताबिक, शांतिपूर्ण तरह से इन टोल प्लाजाओं को बंद किया जाएगा, राहगीरों को परेशान नहीं किया जाएगा, राहगीरों के लिए इनके द्वारा पानी की व्यवस्था की जाएगी, कृषि कानूनों से जुड़े किसानों के मुद्दों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
हालांकि किसानों ने यह भी तय किया है कि इस दौरान इमरजेंसी वाहनों को नहीं रोका जाएगा, चाहे वह एम्बुलेंस हो, फायर ब्रिगेड की गाड़ी हो या विदेशी पर्यटकों की गाड़ी हो। इनके अलावा, सैन्य वाहनों को भी नहीं रोका जाएगा।
दरअसल, तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हेतु सरकार का विरोध कर रहे हैं