महासमुंद| जिला मुख्यालय के समीप रविवार रात मात्र तीन घण्टे के अंतराल में मदमस्त हाथी ने दो ग्रामीणों को पटक पटक कर मार डाला। एक मृतक महासमुंद का निवासी बताया जा रहा है, जबकि दुसरा मृतक झाल खम्हरिया का निवासी है। इन दो मौतो को मिलाकर सप्ताह में जिले में हाथियों के हमले से हुई तीसरी मौत है। जिले में हाथियों के हमले से मृतकों की संख्या अब 26 पर पहुच गई है।
वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार की रात 9:00 बजे घटित पहली घटना जिला मुख्यालय के समीप ग्राम गौरटेक के पास घटी। यहां 3 लोग एक बाइक से ग्राम गौरटेक ग्राम के समीप जंगल की ओर से आकर बाइक से उतरे थे इस बीच उनका सामना अकेले घूम रहे हिंसक हो चुके हाथी से हो गया।
इस घटना में महासमुंद वार्ड नं 08 निवासी राजू विश्वकर्मा को हाथी ने वही कुचल कर मार डाला। मृतक के साथी मनिष यादव अपने अन्य एक साथी के साथ घटना स्थल से बाइक लेकर भाग कर अपनी जान बचाई। इस घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग तत्काल घटनास्थल पहुच गया। वन विभाग अभी कार्यवाही कर ही रह था कि पहले घटनास्थल से मात्र 3 किलोमीटर दूर झालखम्हारिया में भी इसी हाथी के हमले से अपने फल्ली के खेत मे चौकीदारी कर रहे दो युवकों में एक को हाथी ने पटक पटक कर मार डाला। दूसरी घटना में मृतक झालखम्हरीया निवासी परमेश्वर कमार पिता फूल सिंह कमार बताया जा रहा है।
ज्ञात हो कि अभी एक सप्ताह के भीतर ही इसी हाथी ने एक अधेड़ को भी इसी तरह पटक पटक कर मार डाला था।बहरहाल घटना की सूचना के बाद वन विभाग द्वारा दोनों शवों का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सौंप दिया है।मृतक परिवारों को वन विभाग द्वारा तात्कालिक सहायता राशि 25–25 हजार रुपये प्रदान कर दिए गए है।
हमले का सम्भावित कारण महुआ शराब
हथियो के रहन सहन एवम व्यवहार के जानकार पूर्व में मैदानी कार्य करने वाले सेवा निवृत्त डिप्टी रेंजर आर एस ठाकुर से इस सम्बंध में चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि हाथी का व्यवहार मानव के साथ सदा मित्र वत रहा है परन्तु,मानव के व्यवहार से वह विचलित हो कर, उत्तेजित हो गए हैं।
फिर भी लोग उनके भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। वर्तमान की घटनाएं ज्यादा तर इसी से संबंधित है। महुवा लाहन एवं शराब की गंध उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने में मदद करती है। इस तरह की घटनाएं सरगुजा क्षेत्र में ज्यादातर होती हैं कोई एक दशक पहले बागबाहरा क्षेत्र में एक शराबी जंगल में हाथी से टकरा गया था और, हाथी ने उसे अपने सूंड़ में लपेटकर मार डाला था। वहीं फिरगी नवागांव क्षेत्र में हाथी उसी के घर में जाता था जो शराब बनाता था।
इससे हथियो की शराब के प्रति नफरत का पता चलता है।वही दूसरी सम्भावना झुंड से अलग करने के बाद हाथी हमेशा गुसव में होता है और अक्सर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता रहता है।वैसे कोई भी वन्य प्राणी जब झुंड से अलग हो जाता है तो विशाद का शिकार हो कर उत्तेजित हो जाता है, फिर वह असामान्य व्यवहार करने लगता है। अगर हाथी अधिक उत्तेजित हो गए तो काबू में लाना मुश्किल हो जाएगा। इस लिए उन्हें छेड़ कर हमलावर नहीं बनायें।
वर्तमान में जीवतरा कई पहाड़ी पहुचा हाथी। इधर जिला मुख्यालय के प्रभारी रेंजर ने बताया है कि कल रात में गौरखेड़ा, झाल खम्हरिया होकर जीवतरा की पहाड़ी पर विचरण कर रहा है, एक हाथी जलकी छ्पोरा के जंगल में विचरण कर रहा है, तीन हाथी सुकलई नाला बार / महासमुंद परिक्षेत्र सीमा किनारें कक्ष क्रमांक 119,120,121 मुरुमडीह ,छताल डबरा, कौहाबाहरा के पास वन क्षेत्र में विचरण कर रहा है।
दल प्रभारी के साथ एरिया प्रभारी प० स० /बीटगार्ड आसपास के ग्रामीणों को एलर्ट करने मुनादी कराने निर्देश दिया गया है, हाथी विचरण क्षेत्र के ग्रामीणों से अपील है कि शाम से सुबह सुर्योदय तक अपने घरों में सुरक्षित रहें।हाथी देशी महुऑ शराब की सुंगध को दूर से सुंघ लेता है, अतः देशी महुआ शराब के सेवन से बचे, घर में ना रखें।, एवं अपने साथ रखकर यात्रा ना करे।
(देशडिजिटल के लिए रजिंदर खनूजा)