उदयपुर| सरगुजा के उदयपुर नगर में छठ महापर्व की भव्यता ने नगरवासियों के दिलों को छू लिया. चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हुई, जहां श्रद्धालुओं ने नदी और तालाब में स्नान कर शुद्ध आहार का सेवन किया. इसके बाद सोमवार को व्रतधारियों ने खरना किया, जिसमें निर्जला उपवास रखकर प्रसाद का सेवन किया. गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की गई और शुक्रवार को सुबह 6:32 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया गया.
धूमधाम और उल्लास का माहौल
नगर में लगभग 50 से अधिक परिवारों ने पूरे विधि-विधान से छठ पूजा संपन्न की. श्रद्धालुओं ने नदियों और तालाबों के घाटों पर इकट्ठा होकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया. घाटों पर व्रतधारियों ने पूजा अर्चना की, वहीं उनके परिजनों ने ढोल-नगाड़ों के साथ हर्ष और उल्लास मनाया। रंग-बिरंगी पोशाकों में सजी महिलाओं ने पूजा के पारंपरिक गीत गाए, जिससे घाटों का वातावरण भक्ति से भर उठा. व्रतियों ने पूरी श्रद्धा से पूजा की और व्रत का समापन किया, जिसके बाद प्रसाद का वितरण भी किया गया.
व्यवस्थाएं और सुरक्षा इंतजाम
ग्राम पंचायत उदयपुर ने श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की थी। घाटों पर टेंट, पंडाल और साउंड सिस्टम की सुविधा की गई थी ताकि भक्तगण आराम से पूजा में शामिल हो सकें। छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उप सरपंच शेखर सिंह देव और प्रताप सिंह के नेतृत्व में जलपान का आयोजन किया गया, जिसमें पेयजल और ताजे फलों की व्यवस्था की गई थी.
वहीं, सुरक्षा व्यवस्था में भी कोई कमी नहीं छोड़ी गई. उप निरीक्षक आभाष मिंज के नेतृत्व में पुलिस बल ने घाटों पर तीनों दिन सक्रियता से निगरानी रखी. पुलिस टीम ने भीड़ को नियंत्रित करते हुए सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा, जिससे पूजा का आयोजन शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में संपन्न हो सका.
छठ पूजा का महत्व और परंपराएं
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है, जो पूर्वांचल, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोगों में विशेष रूप से लोकप्रिय है. यह पर्व चार दिन तक चलता है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपराएं शामिल हैं. श्रद्धालु यह मानते हैं कि सूर्य देव उनके दुखों का निवारण करते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। छठी मैया को संतान, स्वास्थ्य और जीवन में उन्नति का प्रतीक माना जाता है.
यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा का संदेश भी देता है. छठ पूजा का उद्देश्य प्रकृति की ओर लौटने, जल, वायु और सूर्य की महत्ता को समझने और समाज में एकता को बढ़ावा देने का प्रतीक है.
deshdigital के लिए क्रांति कुमार रावत