रायपुर। विधानसभा में बाघों की संख्या और उन पर पिछले तीन सालों में खर्च की गई राशि को लेकर दी गई जानकारी से प्रश्न उठाने शुरु हो गये हैं। विधानसभा में मंत्री शिव डहरिया ने कांग्रेस विधायक अरुण वोरा के पूछे गए प्रश्न के जवाब में बताया है कि प्रदेश में 19 बाघ हैं और साल 2019 से 2022 के बीच इन पर पूरे 183.77 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस जानकारी पर प्रश्न खड़ा करते हुए वन्य प्राणी विशेषज्ञ प्राण चड्ढा ने सोशल मीडिया के जरिए कहा है कि छत्तीसगढ़ में पिछले 3 वर्षों में बाघों के संरक्षण में रुपए 183 करोड़ खर्च किए गए ।मतलब प्रतिवर्ष रुपए 60 करोड़, क्या वन विभाग पब्लिक डोमेन में बताएगा कि किस-किस मद में यह 183 करोड़ रुपए खर्च किया गया?
बुधवार को विधायक अरुण वोरा ने पूछा था कि प्रदेश में कुल कितने टाइगर रिजर्व हैं ? इन टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल कितने वर्ग किलोमीटर में है? पिछले 3 सालों में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कुल कितनी राशि खर्च की गई ? प्रदेश में अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 में कुल कितने बाघों की संख्या थी। साल 2020 से दिसंबर 2022 तक कुल कितने बाघों की मौत हुई है ? जिसके जवाब में मंत्री शिव डहरिया ने विधानसभा में जानकारी दी कि प्रदेश में सीतानदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार कुल 3 टाइगर रिजर्व हैं । तीनों का कुल क्षेत्रफल 5555.627 वर्ग किलोमीटर है । पिछले 3 वर्षों में साल 2019-20, 20-21 और 21-22 में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए 183.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं । अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 के अनुसार यहां कुल बाघों की संख्या 19 थी, वर्ष 2020 में दिसंबर 2022 तक 2 बाघों की मौत हुई है।
अरुण वोरा के इनकी संख्या बढ़ाने के लिए उपाय पूछे जाने पर मंत्री श्री डहरिया ने बताया कि बाघों की संख्या में वृद्धि की जा रही है। उसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वन्यजीव बोर्ड की बैठक 19 दिसंबर 2022 को की गई थी । जिसमें कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से दो टाइगर और दो टाइग्रेस लाने का प्रस्ताव अनुमोदन किया गया है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में 878.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दो टाइगर और बाद में एक टाइगर छोड़े जाने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
इस जवाब को लेकर वन्य जीव विशेषज्ञ प्राण चड्ढा ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रश्न किया है कि जब वहां 19 टाइगर हैं तो तीन अतिरिक्त टाइगर (कान्हा से लाए जाने वाले) की संख्या बढ़ाने के लिए क्या जरूरत है। या फिर 19 टाइगर का आंकड़ा फर्जी हैं। रायपुर के वन्यप्राणी प्रेमी व समाज सेवी नितिन सिंघवी ने खर्च की राशि पर संदेह व्यक्त कहा है कि रिजर्व के टाइगर्स पर खाने पर खर्च नहीं होता। विभाग के लोग पेट्रोलिंग करते हैं वो एक खर्च है। कोई ऐसी अंतराष्ट्रीय रिसर्च भी प्रदेश में बाघों पर नहीं चल रही तो 183.77 करोड़ 3 साल में 19 बाघों के पीछे खर्च करना समझ से परे है। सरकार को बताना चाहिए कि इतनी बड़ी राशि का क्या हुआ ?