पिथौरा:  बड़े बेटे ने माँ, भाई- बहन को मृत बताकर गैर आदिवासी को बेच दी जमीन

महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम मेमरा के एक आदिवासी परिवार के बड़े बेटे द्वारा अपनी माँ एवम अन्य 3 सदस्यों को मृत बता कर फर्जी हलफनामा से जमीन गैर आदिवासी को बिक्री करने का मामला सामने आया है।

रायपुर । महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम मेमरा के एक आदिवासी परिवार के बड़े बेटे द्वारा अपनी माँ एवम अन्य 3 सदस्यों को मृत बता कर फर्जी हलफनामा से जमीन गैर आदिवासी को बिक्री करने का मामला सामने आया है।

मिली जानकारी के अनुसार ग्राम सपोस निवासी आदिवासी युवक संकीर्तन द्वारा अपने पिता धनीराम की मृत्यु के बाद पिता के नाम की जमीन को अपने एक भाई एक बहन एवम माँ को तहसीलदार न्यायालय में मृत बता कर एक फर्जी हलफनामा द्वारा जमीन को अपने नाम करवा लिया। नामांतरण में ग्राम कोटवार विपीन गांडा के बयान भी दर्ज किए गए।जिसने संकीर्तन ने झूठा बयान देकर नामांतरण करवाया था।

 नामांतरण रद्द करने मांग की

इधर संकीर्तन द्वारा पारिवारिक जमीन को झूठा हलफनामा देकर बेचने का आरोप लगाते हुए उक्त भूमि का नामांतरण रद्द करने की मांग सम्बन्धी आवेदन स्थानीय तहसीलदार,एसडीएम,कलेक्टर महासंमुन्द, एसपी महासमुन्द सहित,स्थानीय थाना प्रभारी को दे कर न्याय की गुहार लगाई गई है।

नामांतरण में नियमों की अनदेखी  ?

दस्तावेजी प्रमाण के आधार पर पुत्री लता ने इस प्रतिनिधि को बताया कि रामाक्र 2अ/6 वर्ष 2005-06 पिथौरा तात्कालिक अति.तहसीलदार के न्यायालय के.आर.भगत के हस्ताक्षर से छग.भूरासं 1959 की धारा 110 के अंतर्गत दि.03.04.2006 को आदेश जारी कर संकीर्तन जाति सौरा को मेमरा की ज़मीन खन-570 र-0.83हे.का एकमात्र हकनामा प्रदान करते हुवे राजस्व रिकार्ड दुरुस्त करने का आदेश जारी किया गया था।

तहसीलदार श्री भगत ने नामांतरण के पूर्व मात्र आवेदन के आधार पर संकीर्तन के बयान तथा कोटवार विपिन व एक अन्य गवाह तुलाराम सौरा का बयान दर्ज कर नामांतरण की कार्यवाही कर दी। न पटवारी से प्रतिवेदन लिया न ही कोई इश्तहार ही जारी किया। लता ने यह भी बताया कि मेरे पिता धनीराम पिता  जुगरु की फौत आज से 45 वर्ष पूर्व 1978 में हो गया है।आज से 12-13 पूर्व वर्ष 2009 में बड़ा भाई संकीर्तन द्वारा जमीन बेचने की जानकारी रजिस्ट्री निकालने पर हुई है।

लाखों की जमीन मात्र 18800 रु में कलेक्टर मंजूरी

न्यायालय कलेक्टर महासमुंद में तात्कालिक कलेक्टर के पद नाम से हस्ताक्षर कर राजस्व आदेश आनुवृत्ति-पत्र माक्र.207/अ21/06-07 दि.13.04.2007 को छग भूरासं 1959 की धारा 165(6)के तहत ग्राम मेमरा पहन 31के आदिवासी संकीर्तन पि धनीराम सौरा को पिथौरा के गैर-आदिवासी को भूमि खन- 570 ,र- 0.83हे भर्री व बंजर होने के कारण मात्र 18,800-00 रु में बिक्री अनुमति दे दी गयी। ज्ञात हो कि कोई सवा दो एकड़ जमीन की तात्कालिक समय में बाजार मूल्य 8 लाख से अधिक बताया जाता है।

1,88,000 में रजिस्ट्री

महासमुंद कलेक्टर के फर्जी आदेश का पालन भी उप- पंजीयक द्वारा फर्जी ढंग से ही किया गया है।जमीन की मंजूरी 18,800(अक्षरी अठाराह हजार आठ सौ मात्र) के लिये दी गई है परंतु आदेश का उल्लंधन कर 1,88,000(एक लाख अठ्ठायशी हजार मात्र) में रजिस्ट्री की गई है। जबकि सम्पत्ति का बाजार मूल्य 8,63,500रु आंका गया है। दि.03.09.2009 को की गई रजिस्ट्री में दस्तावेज लेखक सतीश कुमार ने कलेक्टर मंजूरी आदेश का उल्लेख किया है लेकिन रजिस्ट्री आदेश के खिलाफ है।

 4.39 लाख का मुआवजा

प्रार्थी लता बाई बताती है कि जमीन खन-570,र-0.83 हे का फोरलेन सड़क मुआवजा 1978 में फौत हो चुके आदिवासी धनीराम के नाम से जारी है। एसडीएम पिथौरा से 22.12.2012 को 4 लाख 39 हजार की राशि अवार्ड की गई है। वर्ष 2009 को जमीन बिकी और आज जमीन गैर आदिवासी के नाम है। परन्तु पूरा प्रकरण पूरी तरह फर्जी प्रतीत होता है लिहाजा संकीर्तन या वर्तमान गैर आदिवासी भू स्वामी कोई भी मुआवजा अवार्ड चेक, संकीर्तन या गैर आदिवासी जमीन का कथित मालिक भी मुआवजा लेने नही पहुचा। लिहाजा अब तक मुआवजा पेंडिंग है।

शासन-प्रशासन शून्य

पूरे मामले की शिकायत 2019 में उकिया बाई ने पुलिस जनदर्शन में उक्त मामले की शिकायत की थी। तत्कालीन पुलिस कप्तान ने इस मामले में कार्यवाही का आश्वासन दिया था परन्तु अफसर बदलते गए परन्तु सभी नए अफसर पुनः शिकायत की जांच नए सिरे से करने की बात करते रहे। और अब तक शिकायत पर कार्यवाही पेंडिंग कर रहे हैं। अब प्रशासन  के इस रवैये से परेशान लता अपने भाई एवम  मा  के साथ चक्कर  लगा लगाकर थक चुकी है। लता ने स्थानीय थाना प्रभारी पर भी कार्यवाही करने की बजाय मामला दबाने का आरोप लगाया है जिस पर नए टीआई गोपाल धुर्वे ने नए सिरे से जांच करने की बात कही।

 आखिरी दम तक लड़ूंगी—लता

लता

इधर उकिया बाई तो दुनिया से विदा हो गई लेकिन 4 बच्चों के साथ रह रही लता ने  कहा कि सरकारें आदिवासी हितैषी  बताती है परन्तु हम पर हो रहा अत्याचार किसी को नहीं  दिख रहा। अब वे प्रदेश के मुख्यमंत्री के पिथौरा प्रवास पर पूरे मामले की शिकायत करेंगी एवम जनप्रतिनिधियों द्वारा उनका सहयोग नहीं करने की शिकायत करेंगी।

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