बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने परसा कोल ब्लॉक के अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है | कोर्ट के मुताबिक देश में कोयला संकट है इसलिए इस पर हस्तक्षेप उचित नहीं है | हाईकोर्ट ने पेसा कानून पर कहा कि केंद्र सरकार नई अधिसूचना जारी कर कार्य को आगे बढ़ा सकती है।
बता दें याचिकाकर्ताओं ने पिछली सुनवाई में परसा अधिग्रहण के तुरंत बाद शुरू हुई पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग भी की थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था। इस बीच सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 4 मई को फैसला सुरक्षित रखा था।
चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी व जस्टिस आरसीएस सामंत की डबल बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने अपने वकीलों के जरिये हसदेव अरण्य पर परसा में कोल ब्लॉक के आवंटन के निर्णय को अवैधानिकबताया था |
उन्होंने दलील दी थी कि एक निजी कंपनी (अडानी) को फायदा पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है। कोयला खदान राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित की गई है, पर उसका संचालन निजी कंपनी करेगी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कोल ब्लॉक आवंटन और भूमि अधिग्रहण पर केंद्र सरकार के निर्णय को सही माना है और कहा कि सभी अनुमतियां विधिवत दी गई है।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को कोल ब्लॉक दिया है अब वह उस पर निर्भर करता है कि वह स्वयं खनन करें या किसी निजी कंपनी से कराए।
वहीँ कोर्ट ने पेसा कानून के उल्लंघन पर कहा कि केंद्र की ओर से स्पष्ट किया गया है कि जहां व्यापक जनहित और देशहित की बात हो वहां नई अधिसूचना जारी कर जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है।