महिला के जींस-टी शर्ट पहनने और पुरुष संग घूमने से चरित्र का आंकलन नहीं:हाईकोर्ट
महिला के जींस-टी शर्ट पहनने और किसी पुरुष के साथ घूमने से से उसके चरित्र का आंकलन नहीं किया जा सकता। बच्चे की कस्टडी को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते
बिलासपुर। महिला के जींस-टी शर्ट पहनने और किसी पुरुष के साथ घूमने से से उसके चरित्र का आंकलन नहीं किया जा सकता। बच्चे की कस्टडी को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने यह टिप्पणी करते फैमिली कोर्ट महासमुंद के आदेश को रद्द कर दिया | बच्चे को उसकी माँ के पास रहने और पिता को उससे मिलने देने का आदेश दिया है |
मिली जानकारी के मुताबिक मामले में पिता ने फैमिली कोर्ट में दिए अपने आवेदन में बच्चे के पिता ने आरोप लगाया था कि उसके बच्चे की मां किसी दूसरे पुरुष के संपर्क में रहती है। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा। इस आधार के साथ ही आवेदन में महिला के पहनावे पर भी सवाल उठाए। पति ने यह तर्क दिया कि यदि बच्चे को उसकी कस्टडी में रखा जाता है, तो बच्चे के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। पति ने फैमिली कोर्ट में दिए आवेदन में यह आरोप भी लगाए की महिला का अवैध संबंध है। वह जींस-टी शर्ट पहनती है और उसका चरित्र भी अच्छा नहीं है। इसलिए उसके साथ रहने से बच्चे पर गलत असर पड़ेगा। इस आधार पर फैमिली कोर्ट ने बच्चे की अभिरक्षा पिता को देने का आदेश दे दिया।
फैमिली कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ बच्चे की मां ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । इसमें महिला के वकील ने तर्क दिया कि फैमिली कोर्ट का आदेश केवल तीसरे व्यक्ति के बयान पर आधारित है। मौखिक बयानों के अलावा तथ्य को स्थापित करने और पत्नी के चरित्र के अनुमान लगाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है।
साक्ष्यों का परीक्षण करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि पिता की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य उनके अपने विचार और अन्य लोगों की बातों पर आधारित है। इस तथ्य के कारण कि वह सार्वजनिक रूप से पुरुष के साथ कार में आना-जाना करती है। जींस-टी शर्ट पहनती है ,इसके आधार पर यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि उसके चरित्र में दाग है।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर बच्चे की कस्टडी मां को सौंपा । कोर्ट ने बच्चे के पिता को उससे मिलने और संपर्क करने की सुविधा भी दी है।