बस्तर| कल 17 मई को बस्तर संभाग के बीजापुर के सुकमा जिले की सरहद से लगे CRPF कैंप सिलगेर में फायरिंग हुई| 3 मौतें हुई हैं| पुलिस और ग्रामीण अपने- अपने दावों के साथ आमने-सामने आ गये हैं| पुलिस उन्हें जहाँ नक्सली बता रही है, वही ग्रामीण इसे पुलिसिया कार्रवाई कहते निदोष ग्रामीणों की हत्या का आरोप लगा रहे हैं|
इस इअल्के में पिछले तीन-चार दिनों से बीजापुर से जगरगुंडा को जोड़ने बन रही सड़क की सुरक्षा के मद्देनजर सिलगेर में स्थापित CRPF कैम्प का आसपास के दर्जनों गाँव के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं| सोमवार को भी ग्रामीण विरोध की शक्ल में जुटे थे कि इस बीच गोलियां चलीं|
घटना स्थल पर डटे गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस के जवानों ने उन पर तब गोलियां बरसाई, जब वे विरोध कर रहे थे।
10 ग्रामीण घायल भी हुए जिनका उपचार मौके पर किया जा रहा था लेकिन मीडिया की पहल पर अस्पताल भिजवाया गया।
बहरहाल सिलगेर का सच क्या है यह तो मामले की सूक्ष्म जांच के बाद ही सामने आएगा। लेकिन सोशल मिडिया पर इस घटना के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं|
टिप्पणियों के साथ पुलिस के तर्कों को ख़ारिज किया जा रहा है|
वरिष्ठ पत्रकार Alok Putul @thealokputul
सुकमा में पुलिस कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर भरी दोपहर में की गई गोलीबारी में 3 लोगों की मौत और 18 आदिवासियों के घायल होने की घटना ने अपने पीछे कई सवाल छोड़े हैं, जिनका जवाब कोई नहीं देना चाहता. @RahulGandhi आपने तो इन्हीं आदिवासियों को हिंसा से मुक्ति के सपने दिखाये थे न?
आदिवासियों के साथ हो रहा अन्याय किसी को नही दिख रहा है क्योंकि किसी के लिए ये नक्सली है, किसी के लिए संविधान विरोधी हैं, किसी के लिए ये विकास विरोधी है, सच तो यह की इससे सिस्टम की नपुंसकता और आदिवासी विरोधी संकीर्ण मानसिकता का चेहरा उजागर हुआ है, जो सदियों से चला आ रहा है|
इधर पूरे घटनाक्रम पर आईजी बस्तर सुंदरराज पी का कहना कि ग्रामीणों की आड़ में नक्सलियों ने पुलिस कैम्प पर हमला किया था, जबाबी कार्रवाई में तीन नक्सल सदस्य मारे गए, जिनकी पहचान की जा रही है।
बहरहाल, कल की इस घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव है| यह इलाका दुर्दांत नक्सली हिड़मा का गढ़ भी है और इसी इलाके के जीरागांव में बीते 3 अप्रैल 2021 को 22 जवानों की शहादत हुई थी।