सिलगेर से खाली हाथ लौटे ग्रामीण,आन्दोलन अब सुकमा में !

सिलगेर में पुलिस कैंप हटाने की मांग को लेकर 28 दिन से डटे ग्रामीण अब कोरोना संक्रमण की वजह से हट रहे। खाली हाथ लौट रहे ग्रामीण अब सुकमा में धरना देंगे| सिलगेर से तर्रेम रोड पहले की तरह बंद रहेगा| इससे साफ है कि ग्रामीणों में विरोध की सुलगी चिंगारी बुझी नहीं है|

सिलगेर में पुलिस कैंप हटाने की मांग को लेकर 28 दिन से डटे ग्रामीण अब कोरोना संक्रमण की वजह से हट रहे। खाली हाथ लौट रहे ग्रामीण अब सुकमा में धरना देंगे| सिलगेर से तर्रेम रोड पहले की तरह बंद रहेगा| इससे साफ है कि ग्रामीणों में विरोध की सुलगी चिंगारी बुझी नहीं है|

तर्रेम में बुधवार दोपहर सभा हुई जिसमें फायरिंग के दोषी पुलिस कर्मियों और अधिकारियों पर कार्रवाई कर उन्हें कैंप से हटाने की मांग प्रमुखता से तय हुई।

इससे पहले गोंडवाना समाज, सर्व आदिवासी समाज  , मूलवासी बचाओ मंच के साथ अन्यसामजिक कार्यकर्ताओं ने पूरे घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा कर आंदोलन कोरोना के कारण स्थगित करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया।

बता दें 40 गांवों के 30 हजार से अधिक लोग 28 दिन तक जारी आंदोलन में जुटे हुए थे। मूलवासी बचाओ मंच से जुड़े लोगों के अनुसार इस आंदोलन में हजारों लोग शामिल थे ।

आंदोलनकारियों ने गोलीबारी में मारे गए अपने लोगों की याद में मौके पर स्मारक भी बनाया और श्रद्धाजंलि भी दी।

बस्तर के कई पत्रकारों का भी कहना है कि आन्दोलन किन हालातों में खतम हुआ है सब जानते हैं| बहरहाल सिलगेर आन्दोलन का स्वरूप बदल गया है|

 

 

सिलगेर आन्दोलन के इस तरह खत्म होने पर सोशल मिडिया पर बहस भी जारी है| नक्सल मुद्दों ब आदिवासी ग्रामीणों के मुद्दों पर लगातार रिपोर्टिंग करनेवाले पत्रकार आलोक पुतुल ने ट्विट किया है-

 करीब महीने भर से जारी सिलगेर आंदोलन के बुधवार को ख़त्म होने की सम्भावना जताई गई थी |  सोनी सोरी के नेतृत्व में बीजापुर कलेक्टर और एसपी से बातचीत हुई। उधर मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रायपुर में मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की और मामले में दखल देने की मांग की| राज्य सरकार पहले ही कह चुकी है कि सिलगेर में सड़क और पुलिस कैंप बनाने के अभियान पर वह अडिग है|

(deshdesk )

#सिलगेरSilgerthe movement is now in Sukma!the villagers returned empty handedआन्दोलन अब सुकमा में !खाली हाथ लौटे ग्रामीण
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