रायपुर|बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लिटरेचर (बादल एकेडमी) के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल पूरी तरह से बस्तर की जनजातीय संस्कृति में रंगे दिखाई दिए। उन्होंने इस दौरान तीर-धनुष पर अपने हाथ आजमाए, वही तुरही बजाकर और लोक नर्तकों के साथ मांदर की थाप पर नृत्य कर उनका उत्साहवर्धन भी किया।
मुख्यमंत्री ने लोकार्पण समारोह में बस्तर अंचल की नवोदित प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि बादल अकादमी के जरिए उन्हें अपनी कला को निखारने के लिए एक अच्छा मंच मिला है, इस मंच की मदद और मार्गदर्शन से वे आने वाले समय में आसमान की बुलंदियों को छुएं। विभिन्न जनजातीय समाज के पदाधिकारियों ने परम्परानुसार मुख्यमंत्री को पगड़ी, खुमरी पहनाकर, तीर-धनुष भेंट कर उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के समीप आसना ग्राम में बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) के नवनिर्मित परिसर का लोकार्पण किया।मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि जनजातीय संस्कृति के केन्द्र के रुप में प्रसिद्ध बस्तर के लोक नृत्य, स्थानीय बोलियां, साहित्य एवं शिल्पकला के संरक्षण और संवर्द्धन में आज शुरू हुई बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लैंग्वेज (बादल) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
इस केन्द्र की स्थापना 5 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से की गई है। बादल एकेडमी के जरिए बस्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हस्तान्तरण करना, बाकी देश-दुनिया को इनका परिचय कराना, शासकीय कार्यों का सुचारु सम्पादन के लिए यहां के मैदानी कर्मचारी-अधिकारियों को स्थानीय बोली-भाषा का प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर की गौरवशाली संस्कृति की गूंज हिंदुस्तान ही नहीं देश दुनिया में सुनाई देती है। बादल एकेडमी के जरिये बस्तर की संस्कृति को नई पहचान मिलेगी।
वहीँ बस्तर दशहरा में पारंपरिक बस्तरिया वाद्य यंत्र मुंडा बाजा का वादन किया |