जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री कवासी लखमा क्या भाजपा के एजेंडे पर हैं ? जैसा कि नक्सलियों ने एक विज्ञप्ति जारी कर लखमा पर आदिवासी संस्कृति के हिंदुकरण करने का आरोप लगाया है| नक्सलियों ने लखमा के सार्वजनिक आयोजनों में भगवा कपड़े पहनने पर भी आपत्ति जताई है |
दक्षिण बस्तर सब जोनल प्रवक्ता समता के नाम से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कवासी लखमा बस्तर के मेला-मड़ई में शामिल होकर आदिवासी संस्कृति का हिंदुकरण करने में लगे हुए हैं। जो भी आयोजन किए जा रहे हैं उसमें वे भगवा वस्त्र पहनकर शिरकत कर रहे हैं। आयोजनों के तौर-तरीकों को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुरूप बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं।
भाजपा और उसकी सरकारें आदिवासी संस्कृति के हिन्दुकरण करने की कोशिशों में तेजी ला रही हैं। लखमा सत्तारूढ होते ही पूर्ववर्ती भाजपा के ही नक्शे कदम चल रहे हैं |
नक्सलियों ने मंत्री कवासी लखमा को चेताया है कि वे अपनी इन आदिवासी विरोधी हरकतों को बंद कर दें, अन्यथा माओवाद संगठन, सर्वआदिवासी समाज, समेत समस्त आदिवासी संगठन के लोग मंत्री के सभी आयोजनों और कार्यक्रमों का बहिष्कार करेंगे।
पढ़ें जारी विज्ञप्ति जस का तस
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)
दक्षिण सब जोनल ब्यूरो
प्रेस वक्तव्य
दिनांक- 06 मई 2022
आदिवासी संस्कृति के हिंदूकरण में लगे मंत्री कोवासी लखमा का बहिष्कार करें! आदिवासी संस्कृति के प्रगतिशील तत्वों के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आएं!
पूरे देश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार खासकर भारतीय जनता पार्टी तथा उसकी सरकारे आदिवासी संस्कृति के हिंदूकरण की कोशिशों में तेजी ला रही है वो आक्रामक ढंग से इन नीतियों पर अमल कर रही है आदिवासियों दलितो व मुसलमानों को घर वापसी के नाम पर जबरन हिंदू बनाया जा रहा है जन गणना एवं एनपीआर से संबंधित पंजियों में आदिवासियों को अपनी धार्मिक स्थिति स्पष्ट करने के लिए अलग से कोई कॉलम नहीं दिया गया है. सिर्फ 6 धर्मों का ही उल्लेख है जोकि गैर-लोकतांत्रिक ही नहीं गैर-सवैधानिक भी है जिसका देश के तमाम आदिवासी सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं.
ऐसी स्थिति में ब्राह्मणीय हिंदुत्व फासीवादियों के उपरोक्त कोशिशों का विरोध-प्रतिरोध करने के बजाए कोवासी लखमा द्वारा निजी एवं शासक वर्गों के हितों के अनुरूप आदिवासी संस्कृति को ब्राह्मणीय हिंदुत्व के दायरे में समेटने के प्रयासों का हर तरफ से कड़ा विरोध करना चाहिए
मंत्री लखमा उद्योग मंत्री की हैसियत से देशी विदेशी पूंजीपतियों के साथ निवेश सम्मेलनो को आयोजित करते हुए बस्तर संभाग की संपदाओं व संसाधनों को उनके हवाले करने की नीतियों के तहत सैकड़ों समझौते कर रहे हैं. सत्तासीन होने के पहले जन हित के कइयों वादे करने वाले लखमा सत्तारूढ होते ही आदिवासियों के दमन में भागीदार बन गए हैं. मुठभेडो, झूठी मुठभेड़ो, नरसंहार, शांतिपूर्ण मूलवासी जन आंदोलनों के दमन में पूर्ववर्ती भाजपा के ही नक्शे कदम चल रहे है.
हमारी पार्टी समस्त आदिवासी जनता का आह्वान करती है कि वो आदिवासी संस्कृति के तमाम प्रगतिशील तत्वों का संरक्षण व संवर्धन करने आगे आये आदिवासी संस्कृति के हिंदूकरण का कड़ा विरोध प्रतिरोध करे बस्तर के पर्यावरण प्राकृतिक संपदाओं व संसाधनों को भावी पीढ़ियों के लिए बचाए रखने कदम बढ़ावे.
समता
प्रवक्ता, दक्षिण सब जोनल ब्यूरो
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)