रायपुर| छत्तीसगढ़ की जेलों में सजायाफ्ता कैदियों को अब सालभर में 42 दिनों की छुट्टी मिल सकेगी| वे अपने घर परिवार में कुछ समय गुजार सकेंगे| इस आशय का ‘बंदी (छत्तीसगढ़ संशोधन) विधेयक’ छत्तीसगढ़ विधानसभा ने पारित कर दिया है| पहले एक साल में 21 दिन छुट्टी का प्रावधान था।
42 दिनों की यह छुट्टी तीन बार में मिलेगी ताकि वह अपने परिवार से मिल सके और उसकी मानसिक स्थिति ठीक रहे। वह किसी प्रकार के अवसाद में न आये।
विधानसभा में बंदी संशोधन विधेयक पेश करते हुए गृह, जेल और लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, यह मध्य प्रदेश के जमाने का पुराना अधिनियम है। इसमें हम लोग थोड़ा बदलाव कर रहे हैं ताकि बंदियों की मानसिकता में सुधार आये। पहले एक साल में 21 दिन छुट्टी का प्रावधान था। इसे हम लोग 42 दिन कर रहे हैं।
42 दिन की यह छुट्टी तीन बार में मिलेगी ताकि वह अपने परिवार से मिल सके और उसकी मानसिक स्थिति ठीक रहे। वह किसी प्रकार के अवसाद में न आये।
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के जमाने से चले आ रहे बंदी अधिनियम में कुछ शर्तों के साथ कैदियों को वर्ष भर में 21 दिन छुट्टी देने का प्रावधान है।
इसके तहत बने बंदी छुट्टी नियम के तहत तीन वर्ष से अधिक की सजा पाये कैदियों को यह छुट्टी मिलती है। इसके लिए उनकी सजा की आधी अवधि पूरी होनी चाहिए।
जेल में उसका आचरण अच्छा रहा हो। उन्हें जेल अपराध के लिए सजा न मिली हो। छुट्टी पर जाने के बाद फरार हुआ कोई बंदी दोबारा छुट्टी की पात्रता खो देगा।
वहीं फरारी के मामले में जिसका विचारण चल रहा हो वह भी इसकी पात्रता नहीं रखता है।छत्तीसगढ़ की 33 जेलों में इस वक्त 19 हजार के करीब बंदी हैं। इनमें से 8500 के करीब सजायाफ्ता हैं।