जगदलपुर| बस्तर में नक्सली सरकार से तीन शर्तों पर शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। उनकी मांगें सशस्त्र बलों को हटाने, माओवादी संगठन पर लगाये गए प्रतिबंध हटाने और जेलों में कैद माओवादी नेताओं को निशर्त रिहा करने की है।
नक्सलियों का सामाजिक कार्यकर्ता सुभ्रांशु चौधरी द्वारा किये गए दांडी मार्च-2 के बाद यह बयान आया है । नक्सलियों ने सिविल सोसायटी के लोगो से माओवादियों ने की अपील- सरकारी साजिश का न बने हिस्सा। प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया प्रेस नोट।
नक्सली प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए गठित सिविल सोसायटी पर सवाल उठाए गए हैं। नक्सलियों की ओर से कहा गया है कि ये सरकारी सोसायटी है। कॉरपोट और सरकारी दमन का यह मानवीय मुखौटा है।
नक्सलियों ने कहा है कि सिविल सोसायटी में शामिल राजनेता, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सरकारी साजिश का शिकार ना बने। नक्सलियों ने बस्तर, छत्तीसगढ़ और देश में अशांति के लिए 30 से ज्यादा मुद्दे बताए हैं। इसको लेकर केंद्र और राज्य की सरकारों पर भी निशाना साधा है। कहा कि देश की तमाम वर्ग उत्पीड़न और दमन का शिकार हैं। कारपोरेट घरानों के साथ मिलकर जल, जंगल और जमीन का हनन कर रहे हैं। इनके हल के बिना शांति संभव नहीं है। शांति की कवायद अशांति की जड़ों को समाप्त करने की दिशा में होनी चाहिए।
नक्सलियों ने विज्ञप्ति में लिखा है कि शिक्षा, पेयजल, स्वास्थ्य, कृषि इन सब समस्याओं पर सरकार को आगे आना चाहिए। हमारी पार्टी और सरकार के बीच वार्ता के लिए अनुभवों से सिविल सोसायटी को सबक लेना चाहिए। सभी वाकिफ हैं कि कनसर्ड सिटीजंस कमेटी के प्रयासों से 2004 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ वार्ता शुरू हुई थी लेकिन उसे 2 बार की बातचीत के बाद सरकार ने एकतरफा बंद किया और भीषण दमन का प्रयोग किया था।
सीएम करेंगे फैसला- गृहमंत्री
नक्सलियों की ओर से शांति वार्ता के लिए सरकार के समक्ष रखे गए तीन प्रस्तावों पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सकारात्मक संकेत दिया है। हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री के ऊपर इसे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उनके पास तक अभी पत्र नहीं पहुंचा है। पत्र मिलने के पर मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आगे के कदमों को लेकर फैसला लिया जाएगा।