पिथौरा| अपने कार्यो की वजह से लगातार सुर्खियों में रहे देवपुर के प्रभारी रेंजर पंचराम यादव को करंट से हाथी मौत मामले में रेंजर के पद से हटा कर देवपुर में ही उनके मूल पद पर विशेष कर्तव्य अधिकारी बनाया गया है.
वनमण्डलाधिकारी, बलौदाबाजार वनमण्डल के पत्र क्रमांक 2119 दिनांक 09.11.2022 द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन के अनुसार दिनांक 07.11.2022 को देवपुर परिक्षेत्र बलौदाबाजार वनमण्डल के अंतर्गत पूर्व गिधपुरी बीट कक्ष क्रमांक 299 में 01 नर हाथी (उम्र लगभग 22 से 25 वर्ष) मृत अवस्था में पाया गया. मृत नर हाथी के शव परीक्षण के लिये 03 पशु चिकित्सकों का दल गठित किया गया था. शव के परीक्षण उपरांत पशु चिकित्सक दल द्वारा हाथी की मृत्यु विद्युत करेन्ट से होना बताया गया.
पोस्टमार्टम पश्चात् शव को विधिवत् दफनाया गया। गांव के जिन व्यक्तियों के द्वारा विद्युत करेन्ट का फंदा लगाया गया था उस फंदे की जप्ती बनाई गई है एवं घटित घटना का पी.ओ. आर. क्रमांक 13229/23 दिनांक 07.11.2022 दर्ज किया गया है. प्रकरण पंजीबद्ध होने के बाद अभियुक्तों की तफ्तीस जारी है.
वनमण्डलाधिकारी,बलौदाबाजार के उपरोक्त प्रतिवेदन एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि हाथी मृत्यु की घटना की सूचना लगभग 03 दिवस बाद मिलना तथा क्षेत्र में विद्युत करेन्ट फंदे का पाया जाना पंचराम यादव, प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी के कर्तव्य में गंभीर चूक एवं घोर लापरवाही को दर्शाता है. तथा यह भी स्पष्ट होता है कि प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी का अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं है. श्री यादव का उक्त कृत्य छ.ग. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 का उल्लंघन है. परिक्षेत्र अधिकारी एवं उसके अधीनस्थ कर्मचारियों का मुख्य दायित्व वनों एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा होती है. अतः उपरोक्त तथ्यों के आधार पर पूर्ण विचारोपरांत मैं निम्नानुसार आदेश पारित करता हूँ.
प्रभार के बाद से ही चर्चा में रहे
रेंजर का प्रभार संभालते ही लगातार देवपुर क्षेत्र में हुई शिकार की घटनाओं से वे चर्चा में थे परन्तु लगातार समाचार प्रकाशन एवम शिकायतों सहित सूचना के अधिकार में जानकारी नही देने के मामले में भी उन्हें तीन बार 25 -25 हजार का जुर्माना लगने के बाद भी उन पर विभागीय तौर पर कोई कार्यवाही नही की गई थी. ज़ब एक हाथी की मौत हुई तब भी उन्हें देवपुर से हटाने की बजाय उन्हें मात्र रेंजर पद से ही हटाया गया. जानकारों का कहना है कि यदि पहले संज्ञान लेकर विभाग कार्यवाही करता तो शायद्व हाथी की मौत नही होती.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा