रायपुर | छत्तीसगढ़ विधानसभा में चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक विपक्ष के भारी विरोध के बीच ध्वनिमत से पारित हो गया। विपक्ष का कहना था कि, यह विधेयक गैर कानूनी है। इसकी वजह से लेनदारों को नुकसान होगा। सरकार का कहना था कि, निजी मेडिकल कॉलेज के अधिग्रहण से प्रदेश को फायदा होगा। विधेयक पारित होने के बाद विपक्ष ने विरोध में नारे लगाए और वॉकआउट किया।
चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक पर चर्चा करते खासकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी सरकार एक विवादित और कर्ज में डूबे मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जिस कॉलेज के अधिग्रहण के लिए जिद पर अड़ी है उसपर मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। 2017 से उसकी मान्यता खत्म की जा चुकी है।
वहीँ नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि विधेयक के मुताबिक प्रतिवर्ष 140 करोड़ रुपए का व्यय होगा लेकिन भुगतान योग्य राशि हेतु अरबो रुपए सरकार को संस्था को देना होगा। इस महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा किस प्रकार की जाएगी ?
विपक्ष ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की। सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, कांग्रेस की सरकार आने के बाद हम लोगों की मंशा हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की थी। फिर इसे व्यावहारिक आधार पर प्रत्येक लोकसभा सीट स्तर पर एक मेडिकल कॉलेज का तय हुआ। इसी क्रम में हमें कांकेर, कोरबा और महासमुद में मेडिकल कॉलेज की अनुमति मिली है। इस कोशिश के दौरान केंद्र सरकार ने एक शर्त जोड़ दी है कि जहां पहले से मेडिकल कॉलेज होगा वहां अनुमति नहीं मिलेगी। ऐसे में दुर्ग के लिए मामला फंस गया था। इस अधिग्रहण प्रक्रिया के पूरा होने से दुर्ग में भी मेडिकल कॉलेज हो जाएगा।
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने विधेयक में दो संशोधनों के लिए प्रस्ताव दिया। उनका कहना था कि, विधेयक में यह प्रावधान होना चाहिए कि कॉलेज प्रबंधन पर लंबित सभी देनदारियों का भुगतान सरकार करेगी। और दूसरा कॉलेज के सभी कर्मचारियों को सरकार काम पर रखेगी। इन प्रावधानों के बिना सरकार लेनदारों और कर्मचारियों के मौलिक अधिकार का हनन करेगी। उनको नुकसान होगा। स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि, किसी को नुकसान नहीं होगा। पूर्व की देनदारियों का भुगतान पुराने प्रबंधन को करना होगा। अधिग्रहण के बाद कर्मचारियों को सरकार के भर्ती नियमों के हिसाब से ही रखा जाएगा।
बृजमोहन अग्रवाल के संशोधन प्रस्ताव को खारिज करने के लिए मतदान की नौबत आई। मत विभाजन की मांग पर अध्यक्ष ने इसकी व्यवस्था की। संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में 16 और विपक्ष में 56 वोट पड़े। इस तरह संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गया। मतदान के समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित 14 विधायक सदन में नहीं थे। बाद में मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने सभी के नाम गिनाए।