विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़ : मुकाबला भूपेश और मोदी में ! 

छत्तीसगढ़ प्रदेश में चुनावी तारीखों के एलान के बाद अब राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग हार-जीत की सम्भावनाओं में व्यस्त हो गए हैं. परन्तु दोनों ही दल इस चुनाव में नए नारों के साथ मैदान में उतरे हैं. वहीं प्रदेश में सीधा मुकाबला भूपेश बघेल एवम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर है.

छत्तीसगढ़ प्रदेश में चुनावी तारीखों के एलान के बाद अब राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग हार-जीत की सम्भावनाओं में व्यस्त हो गए हैं. परन्तु दोनों ही दल इस चुनाव में नए नारों के साथ मैदान में उतरे हैं. वहीं प्रदेश में सीधा मुकाबला भूपेश बघेल एवम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर है.

भाजपा ने इस बार अउ नई सहबो बदल के रहिबो स्लोगन को अपना मुख्य नारा बनाया है जिसके जवाब में कांग्रेस ने भरोसा बरकरार फिर कांग्रेस सरकार, स्लोगन को अपना नारा बनाकर बुलंद किया. दोनों प्रमुख दलों की बात करें तो भाजपा एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर मैदान में उतरी है. वहीं कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ही चेहरा सामने किया है, जिससे निःसन्देह भूपेश बघेल का कद खासा बढ़ गया है. क्योंकि प्रधानमंत्री विश्व के बड़े नेताओं में माने जाते है जबकि भूपेश बघेल एक छोटे से प्रदेश छत्तीसगढ़ के नेता हैं.

यदि दोनों दलों के अब तक के प्रचार का आंकलन करे तो भाजपा का बदल के रहिबो वाला नारा अब तक आम लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ पाया है जबकि भरोसा बरकरार का नारा लोगों के दिलों तक पहुंच रहा है. वैसे क्षेत्र के कुछ ग्रामों में जाकर ग्रामीणों से सम्पर्क करने पर यह बात सामने आई कि किसानों का सीधा रुझान वर्तमान सरकार की ओर है. जबकि शहरी क्षेत्र में आम नागरिकों से चर्चा में यह बात स्पस्ट हुई कि नगर वासी दोनों ही प्रमुख दलों से परेशान है.

व्यवसायियों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि वर्तमान सरकार उनके सुखदुख में सहभागी नहीं है. यह सरकार मात्र किसानों एवम मजदूरों को खैरात बांट कर अन्य वर्ग की पूरी तरह अनदेखी कर रही है. दूसरी ओर केंद्र सरकार से भी यह वर्ग खासा नाराज है. कुछ नगरजनों ने बताया कि केंद्र जिस तरह टैक्स बढ़ा बढ़ा कर परेशान कर रहा है प्रतिदिन नियमों में फेरबदल कर व्यवसायियों को परेशान किया जा रहा है. उससे नगर में व्यापारी वर्ग का भाजपा की ओर भी रुझान कम ही है.

भूपेश चाहिए परन्तु विधायक भी अच्छा चाहिए

भाजपा में जिस तरह प्रधान मंत्री के एक चेहरे पर ही विगत एक दशक से चुनाव लड़ा जा रहा है. वह फार्मूला शायद इस चुनाव मे भाजपा को भारी पड़ सकता है. क्योंकि विगत चुनावों की तरह इस चुनाव में कोई माहौल दिखाई नहीं दे रहा है. ग्रामीणों से चर्चा करने पर पता चलता है कि अब लोगों की सोच भी समय के अनुसार बदल गयी है. पहले मात्र एक चेहरा देख कर मतदान करने वाले लोग अब अपने जनप्रतिनिधि का भी स्वच्छ चेहरा देखना चाहते है. इसलिए यह चुनाव कुछ मामलों में अन्य चुनाओं से भिन्न होगा. ग्रामीणों से चर्चा करने पर यह बात सामने आई कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने सीधा लाभ किसानों,मजदूरों एवम बीपीएल परिवार को दिया. जिससे ये सभी वर्ग सरकार से खुश लगते हैं.

विकास कार्य हुए परन्तु सम्पर्क नहीं

प्रदेश भर में विकास के खासे कार्य हुए हैं. परन्तु आम लोगों से क्षेत्रीय विधायकों की दूरी परिणाम प्रभावित कर सकती है. बताया जाता है कि अनेक विधायक ऐसे भी हीं  जिन्होंने विधायक या मंत्री बनने के बाद विकास के कार्य तो किये परन्तु आम लोगों से सम्पर्क कम कर दिया. ग्रामीणों को छोटे छोटे कामों के लिए अफसरों की फटकार सुननी पड़ी और दलालों को मुंहमांगे रुपये देकर काम कराना पड़ा जिसका असर निःसन्देह इस चुनाव में दिखाई देगा.

विकास कार्य बनाम भ्र्ष्टाचार

इस विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर लगातार भ्रस्टाचार के आरोप लगा कर वोट मांग रही है. भाजपा द्वारा प्रदेश में पीएससी घोटाला, केंद्र द्वारा चलाई जा रही नलजल योजना में घोटाला सहित अनेक गड़बड़ियों के आरोप सीधे कांग्रेस पर लगा रही है. जबकि कांग्रेस द्वारा प्रदेश में विकास करवाने एवम पेट्रोल डीजल गैस के बढ़े भारी भरकम दाम केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बढ़ाने एवम एवम विगत चुनाव में जनता से किये गए वादे से अधिक कार्य कराने की बात कहते हुए वोट मांग रही है.

टीएस से आगे निकले बघेल

प्रदेश में विगत 4 वर्षों से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस के भीतर लगातार शीतयुद्ध जैसे स्थिति बनी रही. परन्तु विगत तीन माह पूर्व मुख्यमंत्री पर के दावेदार टीएस सिंहदेव के उपमुख्यमंत्री पद संभालते ही यह शीतयुद्ध भी लगभग समाप्तप्राय हो गया. इसके अलावा कांग्रेस के मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा की एक सभा में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ही उपमुख्यंत्री सिंहदेव द्वारा उनकी तारीफ करने से कांग्रेस में बवाल मच गया था. जिसकी सफाई हेतु श्री सिंहदेव को दिल्ली तलब करने की चर्चा भी प्रदेश में जोरों पर रही है. उक्त घटना के बाद से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भी मजबूत नजर आने लगे हैं. अब कांग्रेस में भूपेश को छोड़कर कोई दूसरा चेहरा नजर नहीं आता है.

बहरहाल, चुनावी बिगुल के साथ ही प्रदेश के दोनों प्रमुख दल अपने अपने राजनीतिक मुद्दों को लेकर आम लोगों के बीच पहुँचने लगे हैं.

Assembly elections in Chhattisgarhcontest between Bhupesh and Modi!मुकाबला भूपेश और मोदी में !विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़
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