बेटे की सायकिल पर सवार टीका लगाने जाती एक माँ
अपने बेटे की सायकिल पर सवार सुनीता तेता के पांव पैडल पर तेजी से टीकाकरण शिविर की ओर थे | धमतरी जिले के गेदरापारा गांव की सुनीता तेता जल्दी में है और गांव से दूर पंचायत कार्यालय टीकाकरण शिविर उसे पहुंचना है ताकि वेक्सिन खत्म न हो जाय
-पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर
अपने बेटे की सायकिल पर सवार सुनीता तेता के पांव पैडल पर तेजी से टीकाकरण शिविर की ओर थे | धमतरी जिले के गेदरापारा गांव की सुनीता तेता जल्दी में है और गांव से दूर पंचायत कार्यालय टीकाकरण शिविर उसे पहुंचना है ताकि वेक्सिन खत्म न हो जाय|
कोरोना संक्रमण के इस दौर में शहरों के घरों में काम करनेवाली बाईयां भी कोवेक्सिन और कोविशिल्ड के बारे में बातें करते सुनते अच्छा लगता है कि वे कितनी जागरूक और अपने आसपास के प्रति किस तरह जिम्मेदारी की भावना रखती हैं | लेकिन गाँव में ऐसा कुछ होते देखना सुखद अहसास के साथ हैरान भी कर जाता है |
अपने बेटे की सायकिल पर सवार सुनीता तेता के पांव पैडल पर तेजी से टीकाकरण शिविर की ओर थे | धमतरी जिले के गेदरापारा गांव की सुनीता तेता जल्दी में है और गांव से दूर पंचायत कार्यालय टीकाकरण शिविर उसे पहुंचना है ताकि वेक्सिन खत्म न हो जाय | उसे समय रहते लौटना भी है ताकि घर का बचा काम निपटा सके |
गेदरापारा के सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढ़ रहा उसका बेटा अभी लौटा है| दोपहर के करीब 1 बजे बेटे की साइकिल पर सवार होकर निकल पड़ी |
पंचायत कार्यालय उनके गांव से जंगलों से गुजरते करीब 3 किमी दूर स्थित है।
पंचायत भवन पहुंचकर अब वह खुश और निश्चिंत है कि उसे टीका लगाया गया है|
इस रास्ते पर अन्य 3 महिलाओं से भी मुलाकात हुई जो टीकाकरण के बाद पैदल लौट रही थीं अपने गाँव | इनमें से दो को दूसरी खुराक मिली जबकि युवती को उसकी पहली खुराक मिली। टीका लगाने और उस बात करती इन महिलाओं को देख लगा कि गाँव की कम पढ़ी लिखी महिलाएं भी कितनी सचेत हैं अपने लिए ही नहीं घर-समाज के लिए |
सचमुच कोरोना ने कितना बदल दिया है, लोगों का जीवन और उनकी सोच , महिलाओं की बातों से साफ झलका | गाँव की महिलाओं में खुद होकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सामने आना सामाजिक बदलाव का साफ संकेत है |