नायडू बोले- राजनीतिक लड़ाई सभा पटल पर नहीं लड़ी जानी चाहिए
राज्यसभा अध्यक्ष जल्द ही सदन में विपक्षी सांसदों के कथित अनियंत्रित व्यवहार पर कार्रवाई पर फैसला कर सकते हैं। इसके लिए पिछले उदाहरणों और ऐसी कार्रवाइयों का गहन अध्ययन किया जा रहा है।
नई दिल्ली । राज्यसभा अध्यक्ष जल्द ही सदन में विपक्षी सांसदों के कथित अनियंत्रित व्यवहार पर कार्रवाई पर फैसला कर सकते हैं। इसके लिए पिछले उदाहरणों और ऐसी कार्रवाइयों का गहन अध्ययन किया जा रहा है।
मामले को विशेषाधिकार समिति को भी सौंपा जा सकता है या फिर एक नई समिति का गठन भी किया जा सकता है। सभापति ने कहा कि सदन में दोनों पक्षों को समान सम्मान दिया जाता है।
मैंने हमेशा से कहा कि सदन के सुचारू संचालन के लिए दोनों पक्षों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है।संसद में हंगामे के मुद्दे पर सभापति नायडू ने कहा कि विधायिकाएं बहस और चर्चा के लिए होती हैं और बाहर की राजनीतिक लड़ाई सभा पटल पर नहीं लड़ी जानी चाहिए।
मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कुछ अमर्यादित घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई पर विचार किए जाने पर नायडू ने कहा कि विस्तृत विचार के बाद जल्द से जल्द उचित निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने विधेयकों को सदन की प्रवर समिति को भेजे जाने पर भी अपने बात रखी। उन्होंने कहा कि जब भी सदन में ऐसे मामलों पर मतभेद होते हैं, तो सदन सामूहिक रूप से निर्णय लेता है। इसके लिए कोई पक्ष सदन पर दबाव नहीं बना सकता।
– सरकार ने नायडू को रिपोर्ट सौंपी
इस बीच सरकार ने राज्यसभा में 11 अगस्त को हुए हंगामे को लेकर सभापति को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कहा गया है कि सीपीआई (एम) सांसद इलामारन करीम ने पुरुष मार्शल के साथ अभद्रता की।
वहीं, कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम और छाया वर्मा ने महिला मार्शल को खींचा और प्रताड़ित किया। वेंकैया नायडू को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि जब सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी सभापति के चैंबर से निकलकर अपनी सीट की ओर जा रहे थे, तब तृणमूल सांसद डोला सेना ने उनका रास्ता रोका और धक्का देने की कोशिश की।